दशरथ विलाप, महाप्रयाण प्रसंग ने किया दर्शकों को भावविभोर
शाहगंज, जौनपुर।
एखलाक खान
तहलका 24×7
नगर की ऐतिहासिक संस्था श्री रामलीला समिति द्वारा बीस दिवसीय लीला मंचन के चौथे दिन शनिवार को राम दरबार की आरती के साथ लीला का शुभारंभ हुआ। वृंदावन की आदर्श रासेश्वरी रामलीला मंडली के कलाकारों ने सुमंत अयोध्या आगमन, दशरथ विलाप और दशरथ महाप्रयाण की हृदयविदारक लीला का मंचन किया।

मंचन में जहां तमसा तट से राम-सीता के चित्रकूट प्रस्थान का दृश्य दिखाया गया, वहीं निषादराज की सौगंध पर आर्य सुमंत खाली रथ के साथ अयोध्या लौटे। इसे देख महाराज दशरथ व्याकुल हो उठे और पुत्र वियोग की पीड़ा से व्यथित होकर प्राण त्याग दिए। व्याकुल दशरथ के लगे रथ के पथ पर नैन, रथ विहीन वन-वन फिरें राम-सिया दिन रैन।

इस भावुक प्रसंग ने लीला स्थल पर उपस्थित हजारों दर्शकों को अश्रुपूरित कर दिया। “रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” की परंपरा चरितार्थ होती देख वातावरण गगनभेदी “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।