रोजगारपरक है संस्कृत भाषा : प्रो. मार्कण्डेय
# ज्ञान के उच्च शिखर तक ले जाने में सहायक है भारतीय ज्ञान परंपरा
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
गांधी स्मारक पीजी कॉलेज, समोधपुर के संस्कृत विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय ज्ञान परम्परा’ विषयक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रोफेसर मार्कण्डेय नाथ तिवारी संस्कृत विभागाध्यक्ष संस्कृत लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने संस्कृत भाषा को रोजगारपरक बताते हुए इसके महत्व और भारतीय ज्ञान परंपरा के विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. रणजीत कुमार पाण्डेय ने भारतीय ज्ञान परम्परा में संस्कृत के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए आधुनिक युग में इसे ज्ञान के उच्च शिखर में सहायक बताया। प्रो. अरविंद कुमार सिंह ने प्राचीन काल से आज तक भारतीय ज्ञान परंपरा के उदय एवं विकास के विषय में बताया।
प्रोफेसर राकेश कुमार यादव ने भारतीय ज्ञान परंपरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा के विकास में भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों एवं बजट आवंटन के बारे में बताया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अरुण कुमार शुक्ला, सहायक आचार्य संस्कृत ने किया।
इस अवसर पर प्रो. लक्ष्मण सिंह, डॉ. अवधेश कुमार मिश्रा, डॉ. नीलमणि सिंह, डॉ. अविनाश वर्मा, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. आलोक प्रताप सिंह बिसेन, डॉ. लालमणि प्रजापति, डॉ. वंदना सिंह, डॉ. जितेन्द्र सिंह, डॉ. विष्णुकांत त्रिपाठी समेत शिक्षक, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।