श्रीकृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुनाकर पढ़ाया मित्रता का पाठ
जलालपुर, जौनपुर।
दीपक श्रीवास्तव
तहलका 24×7
त्रिलोचन महादेव निवासी फिल्म अभिनेता चन्दन सेठ के निवास पर आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथावाचक बाल ब्यास शशिकान्त महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए।कथा से पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी डाॅ. गोरखनाथ पटेल, दुर्गाकुण्ड मंदिर वाराणसी के महंत पं. रवि ने द्वीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया।
बाल ब्यास शशिकान्त महाराज ने सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पीठाधीश्वर शास्त्री ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा से समझा जा सकता है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे।
सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, सुदामा सुदामा कहते तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने अपने सखा सुदामा को देखकर उन्होंने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे लोग अचंभित हो गए। कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब भी भक्तों पर विपदा आई है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। अंत में भागवत भगवान की आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर जितेन्द्र सेठ, अजय कुमार सिंह, अनुराग वर्मा, विक्रम सिंह, राम किनकर मिश्रा, शिवचन्द यादव, पंकज भूषण मिश्रा, माला सिंह, मुरलीधर गिरि, अनिल सिंह, अजीत सिंह, गोपाल सेठ, विनय वर्मा, चन्दन सेठ, संगम जायसवाल, प्रेम शंकर दुबे, कन्हैया लाल वर्मा, संतोष सेठ, महेन्द्र सेठ आदि उपस्थित रहे।