सुप्रीम आदेश : निर्दोष और पिछड़े समुदाय के लोगों का नाम हिस्ट्रीशीट में न हो
नई दिल्ली।
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सुप्रीमकोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को यह सुनिश्चित करने को कहा कि निर्दोष और पिछड़े समुदायों के व्यक्तियों का नाम हिस्ट्रीशीट में न हो। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की कार्रवाई शुरू करते हुए कहा कि सार्वजनिक डोमेन में कुछ अध्ययन उपलब्ध हैं, जो अनुचित पूर्वाग्रहपूर्ण और अत्याचारी मानसिकता का एक पैटर्न प्रकट करते हैं।
अदालत ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पिछड़े समुदायों, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के साथ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले निर्दोष व्यक्तियों की हिस्ट्रीशीट में कोई यांत्रिक प्रविष्टि न की जाए।
कोर्ट ने कहा कि हिस्ट्रीशीट एक आंतरिक सार्वजनिक दस्तावेज है, न कि सार्वजनिक रूप से सुलभ रिपोर्ट। इसमें कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करते समय अतिरिक्त देखभाल और सावधानी बरतनी चाहिए कि हिस्ट्रीशीट में कानून द्वारा प्रदान किए गए नाबालिग की पहचान का खुलासा नहीं किया जाए।
पीठ ने कहा हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ये पूर्वकल्पित धारणाएं अक्सर उन्हें उनके समुदायों से जुड़ी प्रचलित रूढ़ियों के कारण अदृश्य शिकार बना देती हैं, जो अक्सर उनके आत्म-सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार में बाधा डाल सकती हैं।