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Saturday, October 11, 2025

सोनभद्र : कोयले के बाद अब परियोजनाओं में गहराया पानी का संकट

सोनभद्र : कोयले के बाद अब परियोजनाओं में गहराया पानी का संकट

# तेजी से घट रहा है रिहंद का जलस्तर, बढ़ रही है चिंता

सोनभद्र।
आर एस वर्मा
तहलका 24×7
                  कोयला संकट से जूझती तापीय परियोजनाओं के लिए अब पानी का संकट भी गहराने लगा है। करीब 20 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने वाली परियोजनाओं को पानी उपलब्ध कराने वाले रिहंद जलाशय का जलस्तर तेजी से नीचे खिसक रहा है। अप्रैल में ही जलस्तर जून के बराबर पहुंच जाने से आगामी दिनों को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। ऐहतियात के तौर पर जल विद्युत परियोजनाओं को पहले ही बंद किया जा चुका है। अब जलस्तर को मेंटेन रखने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।
पिपरी में स्थापित रिहंद जलाशय से राज्य विद्युत उत्पादन निगम की अनपरा व निजी क्षेत्र की लैंको परियोजना के अलावा एनटीपीसी शक्तिनगर, एनटीपीसी रिहंद (बीजपुर), एनटीपीसी विंध्याचल व आसपास की अन्य निजी क्षेत्र की विद्युत उत्पादन इकाइयों को पानी उपलब्ध होता है। इन परियोजनाओं से निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए रिहंद बांध का जलस्तर 830 फीट से नीचे नहीं आना चाहिए। मौजूदा समय में रिहंद बांध का जलस्तर 843.3 फीट तक आ चुका है। यह जलस्तर गत वर्ष अप्रैल के सापेक्ष तीन फीट से अधिक नीचे है। अप्रैल 2021 में रिहंद बांध का जलस्तर 846.9 फीट दर्ज किया गया था। बारिश शुरू होने तक जून में बांध का पानी 841.9 फीट तक पहुंच गया था। इस बार भीषण गर्मी के चलते अप्रैल में ही जलस्तर पिछले साल की जून के करीब तक पहुंच गया है। तापमान में वृद्धि और परियोजनाओं में पानी की खपत बढ़ने के साथ जलस्तर में तेजी से आ रही कमी ने अब कोयला संकट से जूझती परियोजनाओं के लिए नई चिंता बढ़ा दी है।
पानी का भंडार सुरक्षित रखने के लिए रिहंद पर आधारित जल विद्युत परियोजना को बंद रखा गया है मगर विशेष परिस्थिति में बिजली बनाने में इसकी मदद लेनी पड़ रही है। तब जलाशय का फाटक खोलकर भारी मात्रा में पानी निकालना पड़ रहा है। जलस्तर में आ रही गिरावट से रिहंद बांध से जुड़े अफसरों के माथे पर शिकन पड़ने लगी है।

# मुख्यालय के आदेश पर चालू होती हैं हाइड्रो परियोजनाएं

भीषण गर्मी में पानी की कमी को देखते हुए हाइड्रो परियोजनाओं को बंद कर दिया गया है लेकिन बिजली की मांग अधिक होने पर शीर्ष के आदेशों पर हाइड्रो परियोजनाओं से भी उत्पादन कराया जाता है, जिससे निजी क्षेत्रों से महंगे दामों में खरीदी जाने वाली बिजली का खर्च कम हो सके।

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