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Sunday, May 19, 2024

43 साल बाद सामने आई मुरादाबाद दंगे की सच्चाई

43 साल बाद सामने आई मुरादाबाद दंगे की सच्चाई

# रिपोर्ट में दंगे को लेकर चौंकाने वाली जानकारी का खुलासा

लखनऊ।
तहलका 24×7 
                  मुरादाबाद में 1980 में हुए दंगे के 43 साल बाद योगी सरकार ने विधानसभा के पटल पर इसकी रिपोर्ट पेश की जिसमें कई अहम खुलासे हुए हैं। इस दंगे में 83 लोग मारे गए थे जबकि 112 लोग घायल हुए थे। घटना की जांच के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। अब इसी की रिपोर्ट में दंगे को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मुस्लिम लीग के दो नेताओं के राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की वजह से यह दंगा हुआ था। मुस्लिम समुदाय में नेता को लेकर उस वक्त चल रही खींचतान दंगे का मुख्य कारण था। रिपोर्ट के मुताबिक ईदगाह और अन्य स्थानों पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी या हिंदू संगठन जिम्मेदार नहीं था। दंगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या भारतीय जनता पार्टी की भी कोई भूमिका नहीं थी। वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आम मुसलमान भी ईदगाह पर उपद्रव करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि डॉ शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और डॉ हामिद हुसैन उर्फ डॉ अज्जी के नेतृत्व वाले खाकसारों, उनके समर्थकों और भाड़े पर लगाए गए लोगों ने पूरी कारगुजारी को अंजाम दिया था और यह पूरा दंगा पूर्व नियोजित था। रिपोर्ट के मुताबिक नमाजियों के बीच में सूअर धकेल दिए गए थे। इसके बाद अफवाह फैलने पर आक्रोशित मुसलमानों ने पुलिस चौकी और हिंदुओं पर अंधाधुंध हमला किया था। इसके परिणाम स्वरूप हिंदुओं ने भी बदला लिया जिस पर सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था।
जिस वक्त ये दंगा हुआ था उस वक्त यूपी में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। ये दंगा ईद के दिन शुरू हुआ था। जांच आयोग ने नवंबर 1983 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन पहले की तमाम सरकारों ने कभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया।

# देश-प्रदेश की जनता को सच्चाई जानने का हक- मौर्य

वहीं इस रिपोर्ट को सदन में पेश किए जाने को लेकर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह रिपोर्ट तो पेश होनी ही चाहिए, पहले की सरकारों ने इसे छिपा कर रखा था। मुरादाबाद दंगों की सच्चाई देश और प्रदेश की जनता को जानने का मौका मिलना ही चाहिए।
वहीं मुरादाबाद 1980 दंगे के एक पीड़ित परिवार ने रिपोर्ट सामने आने के बाद कहा कि घर के 4 लोगों को उठा ले गए थे, जो आजतक लौटकर नहीं आए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट पर चर्चा की ये जानकार अच्छा लगा, दंगे की सच्चाई सबके सामने आनी चाहिए।

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