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Tuesday, November 4, 2025

अचानक नागपुर पहुंचे अमित शाह, नहीं मिले ‘मोहन भागवत’! 

अचानक नागपुर पहुंचे अमित शाह, नहीं मिले ‘मोहन भागवत’! 

# महाराष्ट्र में अभी चुनाव नहीं पर भाजपा नेताओं के साथ चुनावी सांगठनिक ‘रीव्यू’ बैठक लेने पहुंचे अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी नहीं थे और नागपुर की बैठक में यहां के सांसद नितिन गडकरी की नामौजूदगी से दुविधा में रहे पार्टी नेता। 

# संघ द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए ‘संजय जोशी’ के नाम पर अडिग होने के फरमान ने पार्टी के कथित हाईकमान को हिलाकर रख दिया। इनके सुझाए नाम को खारिज करते हुए संघ वसुंधरा राजे सिंधिया व नितिन गडकरी को भी विकल्प बता रहा जो हाई कमान को मंजूर नहीं। 

कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
नागपुर/लखनऊ। 
तहलका 24×7 विशेष
                     भारतीय जनता पार्टी में फ़िर सबकुछ असामान्य होता नजर आ रहा है। इसी महीने के शुरु में समाप्त हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अनुसांगिक संगठनों के साथ केरल के पलक्कड़ में तीन दिवसीय बैठक हुई थी। इस दौरान संघ और भाजपा के बीच तीन साल पूर्व से जारी गतिरोध सहमति के आधार पर समाप्त हो गया था, लेकिन संघ द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर संजय जोशी के नाम की घोषणा करने की खबर ने ‘मोदी और शाह’ को फ़िर असहज करके रख दिया है।
भाजपा की इस शीर्ष जोड़ी द्वारा अध्यक्ष पद के लिए शिवराज सिंह चौहान समेत कुछ नाम सुझाए गए जिसे खारिज करते हुए संघ ने कह दिया, ‘वसुंधरा राजे सिंधिया या नितिन गडकरी’ में से किसी एक पर भी विचार किया जा सकता है। यानी संघ भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर अपनी मर्जी के ही संघनिष्ठ व्यक्ति को बैठाने पर अडिग है। इसी मुद्दे पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब दो खेमे गुजरात लॉबी और नागपुर लॉबी में स्पष्ट रुप से सतह पर दिखने लगा है।
संघ और भाजपा सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि ‘संजय जोशी’ के नाम पर संघ के आधा दर्जन शीर्ष पदाधिकारयों के बीच सहमति होने के बाद केरल की बैठक में ही घोषणा होनी थी लेकिन ‘मोदी और शाह’ ने हरियाणा व अन्य राज्यों के विधान सभा चुनाव का हवाला देकर वक़्त मांग लिया था, तब तय हुआ था कि आठ अक्टूबर के बाद नाम की घोषणा की जाएगी। विस चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने बेहतरीन परफार्मेंस का भी दावा किया था, लेकिन उन संजय जोशी का नाम हाईकमान के गले की हड्डी बन गया जिन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी का इस्तीफा इस बात पर मांग लिया था कि उन्होंने पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन्ना की मज़ार पर जाकर उनकी तारीफ भी की थी।
ये वही जिन्ना थे जिन्होंने मुस्लिम लीग बनाकर भारत का विभाजन कराया और पाकिस्तान बना लिया।दरअसल संजय जोशी में सांगठनिक क्षमता बेजोड़ है। वह संघ के निष्ठावान और ईमानदार स्वयं सेवकों में शुमार रहे और भाजपा में राष्ट्रीय महामन्त्री रहे। लेकिन अब से एक दशक पूर्व उनपर सीडी कांड में आरोप लगा जो बाद में फर्जी निकला था, जिसके चलते वह भाजपा की सक्रिय राजनीति से खिसक कर ‘हासिये’ पर चले गए थे।
विगत लोकसभा चुनाव के दौरान वह सक्रिय हुए लेकिन संघ और भाजपा नेतृत्व में गतिरोध के चलते संघ उन्हें शांत रखकर मौके का इंतज़ार करता रहा। अवसर मिला केरल की बैठक में तो संघ ने आंतरिक सहमति पर इनके नाम को भाजपा अध्यक्ष पद के लिए आगे कर दिया। श्री जोशी का नाम सुनते ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में बौखलाहट बढ़ गई, उसी का नतीजा है अमित शाह का महाराष्ट्र के नागपुर का दौरा।
दिलचस्प ये है कि अभी महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तिथि भी घोषित नहीं हुई है और अमित शाह पार्टी के किसी पद पर भी नहीं हैं, फिर वह प्रदेश संगठन की रीव्यू बैठक किस अधिकार से लेने पहुंच गए, उनकी कई बैठकें होनी हैं लेकिन नागपुर में उनकी बैठक में स्थानीय सांसद नितिन गडकरी भी नहीं थे। इतना ही नहीं, इसमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी नहीं शामिल हुए। इसी कारण अमित शाह की बैठक में शामिल होने वाले देवेंद्र फडणवीस समेत तमाम अन्य नेता दुविधा और हैरत में थे।
नागपुर में अचानक अमित शाह के पहुँचने और संघ प्रमुख से उनकी मुलाकात न होने की खबरें सोशल मीडिया की सुर्खियां बनने लगीं। विभिन्न प्रकार की चर्चाओं ने सनसनी का रुप लेना शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि संघ प्रमुख समेत इस संगठन का कोई भी शीर्ष पदाधिकारी अमित शाह से नहीं मिला। लाचार होकर उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं, नेताओं को रीव्यू बैठक के बहाने बुला लिया।
इस घटना ने जहां राजनीतिक गलियारे में सनसनी मचा दी है वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। बावजूद इसके यह तय नज़र आ रहा है कि संजय जोशी के नाम पर जहां संघ अडिग है वहीं भाजपा हाईकमान के लिए इस नाम के साथ अन्य दो वैकल्पिक वसुंधरा राजे व नितिन गडकरी का नाम भी उनके गले में अटक गया है। इसके साथ ही इस बार संघ-भाजपा के बीच जारी शीत युद्ध सतह पर दिखने लगा है।

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