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Tuesday, September 16, 2025

इंसानी स्लास्टर हाउस: कार्पोरेट का खोल ओढ़े नर्सिंगहोम्स में इंतज़ाम ‘झोलाछाप’

इंसानी स्लास्टर हाउस: कार्पोरेट का खोल ओढ़े नर्सिंगहोम्स में इंतज़ाम ‘झोलाछाप’

# अब आम इंसान जाए तो जाए कहां? वाराणसी के ट्रामा सेंटर में वेटिंग की लम्बी कतार, सरकारी अस्पताल बने रेफरल सेंटर, दलालों के जरिये मरीजों को लपकते हैं निजी अस्पतालl

कैलाश सिंह/संतोष कुमार सिंह
विशेष संवाददाता/ब्यूरो चीफ
लखनऊ/जौनपुर/वाराणसी
तहलका 24×7                                                             इस एपिसोड में दो जिलों जौनपुर और वाराणसी की बानगी मिलेगी जो यूपी के पूर्वांचल ही नहीं, एमपी और बिहार के सीमापवर्ती इलाकों के मरीजों को सचेत करने के लिए पर्याप्त होगीl इससे पहले दक्षिण की एक फिल्म का उदाहरण देखिए- ‘फिल्म के पांच रुपये फ़ीस वाले डॉक्टर रूपी नायक का टीवी चैनल में लाइव इंटरव्यू चल रहा था, उसमें पत्रकार बनी नायिका का सवाल’ क्या आमजन का सस्ते में इलाज संभव नहीं है?

 

नायक का जवाब- बिल्कुल संभव है लेकिन इसमें मेडिकल जांच स्कैम सस्ते इलाज में बड़ा रोड़ा है, इसे बंद कर दिया जाए तो हर किसी को बीमारियां कम होंगीl डॉक्टर रूपी नायक ने स्टूडियो में मौजूद लोगों से उनकी बीमारी पूछी- सभी ने कहा कोई रोग नहीं है, तब डॉक्टर ने कहा मेडिकल जांच करा लीजिए दर्जनों रोग निकल आयेंगेl ऐसे ही एक फिजीशियन जौनपुर में हैं डॉ शिव सूरत दिवेदीl वह आज भी बग़ैर जांच किये रोज़ दर्जनों मरीजों का इलाज ब्रांडेड दवावों से करके उन्हें स्वास्थ्य लाभ दे रहे हैं, लेकिन इसके इतर दूसरे अस्पतालों में स्थिति बड़ी भयावह हैl

 

दरअसल लगभग हर नर्सिंगहोम का संचालक कार्पोरेट बनने के चक्कर में मल्टी स्पेशियलिटी, ट्रामा सेंटर का बोर्ड लगाकर इलाज की दूकान खोलता जा रहा है लेकिन उसका उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित मानक से कोई लेना- देना नहींl अन्य जिलों की तरह जौनपुर में वाराणसी की तर्ज पर ऐसी कार्पोरेट वाली दुकानों की भरमार होती जा रही है, इनमें कुछ अस्पताल हैं जो मानक के साथ अपनी स्पेशियलिटी पर ही टिके हैं, जिनका जिक्र अगली कड़ियों में मिलेगा,अभी तो उन्हें जानिए जो निजी अस्पताल ‘इंसानी स्लाटर हाऊस’ की राह पर दौड़ रहे हैंl

शासन के मानक पर निगहबानी की जिम्मेदारी जिन नौकरशाहों पर है वह ‘मानक को ही गिरवी’ रखकर अपने हिस्से का ‘कट’ लेकर मस्त हैंl यही कारण है कि युवा महिला ग्राम प्रधान श्रीमती अहाना सिंह की जान लेने वाला अस्पताल आज भी मरीजों से खचाखच भरा हैl इसी तरह तमाम फिजीशियन ‘हृदय रोगियों’ के दिल की धड़कन बंद करने में लगे हैंl मरीजों की गंभीर स्थिति देख लखनऊ, दिल्ली, मुंबई भेजा जाता हैl यदि उसमें जान बाकी और तीमारदार की जेब दम में दिखी तो वाराणसी के अपने बड़े स्लाटर हाऊस में रेफर करते हैंl

अब जौनपुर की दो बानगी देखिए: एक घटना 11 महीने पुरानी है, इसमें स्वस्थ महिला के पैर में फिसलने से फ्रैक्चर होता है, वह डोभी के एक गांव की निवासी और आयुष्मान कार्ड धारक थी, फ़िर भी बग़ैर किसी डिग्री वाले झोलाछाप जिनकी दूकान केराकत तहसील के स्टेशन रोड पर आज भी मौजूद है और वह चिड़िया रूपी मरीजों के लिए ‘कम्पा’ लगाये बैठे हैंl उन्होंने महिला को इतनी दवा खिलाई कि उसका गुर्दा फेल होने लगाl महिला के पैर का इलाज वाराणसी के एक कथित कार्पोरेट अस्पताल जहां आयुष्मान जैसे कार्ड मान्य थे वहां करायाl

बावजूद इसके दोनों कथित अस्पतालों में तीमारदारों को 50 हज़ार से अधिक भुगतान करना पड़ाl महिला दलित थी उसकी मौत के साथ बात भी दब गईl इसी इलाके में थोक ड्रग डीलर फुटकर में प्रतिबंधित दवाएं बेच रहे हैंlअब दूसरी बानगी देखिए: जौनपुर शहर के एक कथित मशहूर सर्जन का कथित कार्पोरेट नर्सिंगहोम हैl तीन दशक पूर्व वह जिस अस्पताल से प्रैक्टिस शुरू किये थे उसी के सामने अपनी निजी दूकान सजा लिएl

वहीं के एक बग़ैर डिग्री वाले कथित फिजीशियन को कोरोना के दौरान नौकरी पर रख लिए, इन्होंने ‘कोरोना रूपी आपदा में अवसर’ को धुँवाधार भुनायाl समाज और पुलिस- प्रशासन से बचने को एक दलाल पत्रकार को नौकरी पर रख लिया और माफिया से रसूख बढ़ा लियाl इस बीच उनके यहां प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक ने झारखंड, बिहार और असम में फैले रैकेट से ‘एमडी मेडिसिन’ की डिग्री खरीदकर अपनी दुकान उनके निकट ही सजा लीl खैर इस कथित मशहूर सर्जन ने बीते 29 अगस्त को एक संभ्रांत महिला के पेट की पथरी का ऑपरेशन कियाl हफ़्ते भर बाद उनका टांका कटाने जब परिजन आये तो उन्हें जांच के नाम पर शाम तक रोका गयाl बाद में टांका कटा तो रक्तस्राव बढ़ गयाl इस कथित कार्पोरेट नर्सिंगहोम के गुब्बारे की हवा उस मरीज के परिजन के बयान से निकल गईl,,,,, क्रमशः

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