फर्जी फर्म बनाकर 10 करोड़ की GST चोरी, दो गिरफ्तार
रायबरेली।
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पुलिस ने 10 करोड़ रुपए से अधिक की जीएसटी चोरी करने वाले दो अभियुक्तों को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि इन्होंने सर्वश्री राजधानी इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी से फर्जी तरीके से 10.76 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की थी। पकड़े गए दोनों आरोपी गाजियाबाद के रहने वाले हैं।पुलिस ने राज्य कर विभाग के सहायक आयुक्त की तहरीर पर 17 जून को जीएसटी चोरी का केस दर्ज किया गया था।

जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी का फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराया और भारी वित्तीय घोटाला किया। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि जीएसटी पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया। इसके बाद योगेश गर्ग और संजय ठाकुर ने फर्जी बिलिंग के जरिए कमीशन पर यह रैकेट चलाया था। पूछताछ में नीरज राणा नाम के व्यक्ति और अन्य सहयोगियों के शामिल होने की जानकारी सामने आई है।पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

सीओ सदर अमित सिंह ने बताया कि 17 जून को रितेश बर्नवाल सहायक आयुक्त राज्य कर विभाग खण्ड-1 थाना कोतवाली नगर से जीएसटी चोरी के संबंध में तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया। 7 जुलाई को पुलिस टीम द्वारा अभियुक्त योगेश गर्ग पुत्र स्व. रतन लाल गर्ग निवासी 277 मालीवारा, थाना सिहानी गेट, जिला गाजियाबाद और संजय ठाकुर पुत्र परशुराम सिंह निवासी W-16 गोल्फ लिंक डायमंड फ्लाईओवर के पास थाना वेब सिटी गाजियाबाद को थाना क्षेत्र के डिग्री कॉलेज चौराहे के पास से गिरफ्तार किया।बताया कि अभियुक्तों ने सर्वश्री राजधानी इंटरप्राइजेज के नाम से एक फर्म रायबरेली में रजिस्टर्ड कराई थी।

उस फर्म को रजिस्टर्ड कराने के दौरान लगाए गए मोबाइल नंबर के आधार पर गहन जानकारी करके अन्य अल्टरनेट मोबाइल नंबरों को खोजा गया।पुलिस को विवेचना के दौरान पता लगा कि इन नंबरों से लिंक नंबर द्वारा अन्य फर्जी (शेल कंपनी) मनी लांड्रिग करने के लिए रजिस्टर्ड की गई है। गहन पूछताछ के दौरान यह भी पता लगा कि योगेश गर्ग के कागजात फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड कराने में प्रयोग किए गए थे, जिसमें जीएसटी का कुछ प्रतिशत पैसा इसे मिलता था। योगेश ने बताया कि वह संजय ठाकुर के अंडर में काम करता था, संजय ठाकुर ने पूछताछ में बताया कि वह नरेश राणा नाम के व्यक्ति व उनके अन्य साथियों के साथ मिलकर काम करता था।

वह माल का फर्जी बिल तैयार करता था, उससे जो 18 प्रतिशत जीएसटी बनती उसमें से जो कमीशन उसे मिलता था उसमें से योगेश गर्ग उर्फ मोनू को भी कमीशन देता था। सीओ ने बताया कि अभियुक्तगण फर्जी शेल कंपनी बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग करने का संगठित गिरोह चलाते थे। इस गिरोह द्वारा लोगों को थोडे़ पैसे का लालच देकर उनके कागजात हासिल कर लिए जाते और उनके नाम से फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन जीएसटी विभाग में कराया जाता। इसके बाद फर्जी बिल बनाकर यह लोग जीएसटी बचाते थे।








