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Sunday, November 23, 2025

हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी…

हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी…

जौनपुर।
कैलाश सिंह/अशोक सिंह
तहलका 24×7 
             एमपी के सीएम मोहन यादव ने आज जौनपुर में भाषण के दौरान कहा, यहां जो प्रत्याशी हैं, वो कांग्रेस को निबटा कर यहां आए हैं। उनका भाव जो भी रहा हो लेकिन जिले के लोग जो अर्थ समझ रहे अब इसका क्या जवाब तलाशेगी भाजपा? अब चुनाव के आखिरी दौर में वह कितना यादवों को लुभा पाएंगे? सभा लगानी ही थी तो यादव गढ़ मलहनी में करते।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भाजपा हाई कमान ने यहां की दो सीटों के साथ जिले की सीमाओं पर सभा शायद इसलिए लगाई गई ताकि ठाकुरों की नाराज़गी कम की जा सके। भाजपा हाई कमान अपने ही संगठन के सहयोगियों की ज़ुबान पर नहीं लगाम लगा पाया। पार्टी के कोर वोटर मौन, उत्साह नदारद, प्रत्याशी खुद झुकने की बजाय वोटर को झुकाने में लगे।
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विस्तार
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एक पुरानी फिल्म का गीत 70-80 के दशक में मशहूर हुआ था। हुज़ूर आते- आते बहुत देर कर दी…..इस गाने को अभिनेत्री रेखा ने फिल्म के नायक के लिए गाया है। कहानी के अनुसार जौनपुर और मछली शहर की दोनों सीटों के भाजपा के कोर वोटर पार्टी के बड़े नेताओं के आने पर गाने लगे हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य दो दिन पूर्व आये लेकिन उनके आगमन से एक पखावरे पूर्व उनके वोटर अपना स्थान बदल चुके थे। हालांकि उनकी सभा इस वोट बैंक के गढ़ में लगी थी पर उन्हें मौर्य वोटरों ने भाव ही नहीं दिया।
सभा के बाद उन्हीं वोटरों की टिप्पणी थी जो लिखने लायक नहीं है। आज यादवों के गढ़ मलहनी की बजाय जिला मुख्यालय के बीआरपी कॉलेज के मैदान में आयोजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन लाल यादव की सभा हुई तो वह मुलायम सिंह यादव द्वारा 2019 में पीएम को दी गई शुभ कामना के सहारे यादवों को सपा से खींचने की कमजोर कोशिश किए। उसी दौरान बोल दिए की आज यहां मौजूद भाजपा के प्रत्याशी (कृपा शंकर सिंह) का नाम लिए बगैर, कि यह कांग्रेस को निबटा कर यहां चुनाव मैदान में आये हैं। इस बयान पर लोग अपने हिसाब से अलग अर्थ निकालने लगे हैं। आप भी अर्थ निकलिए।
मुख्य वमन्त्री योगी आदित्यनाथ को भी भाजपा हाई कमान ने थक हारकर पूर्वांचल की सीटों पर नाराज ठाकुरों को मनाने के लिए जिम्मा दिया। लेकिन, यहां भी बहुत देर हो गई। जौनपुर सीट से जुड़े ठाकुर अधिसंख्य मौन हैं। उन्हें योगी बाबा से कोई गिला नहीं है। वह संगठन में शुरू से ही मची-खींचतान के लपेटे में हैं। कहीं न कहीं राजा रघुराज प्रताप सिंह पर अनुप्रिया पटेल द्वारा की गई टिप्पणी से आहत, प्रभावित हैं। साथ ही राजभर की पार्टी के नेता के आश्लील बयान ने कलेजा सुलगाने का काम कर दिया।
जौनपुर के प्रत्याशी ने बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह का फ़ायदा उठाने को शायद ज़हमत समझा। मछली शहर सुरक्षित लोकसभा सीट के प्रत्याशी बीपी सरोज ने धनंजय सिंह से मंच साझा किया। लेकिन, वह ठाकुरों पर मड़ियाहूं विस क्षेत्र में दर्ज मुकदमे वापस कराने या मानने में फेल हुए, उल्टा प्रत्याशी ने उन्हीं में से विरोध करने वाले तीन युवकों पर फिर आई वटी एक्ट के तहत मुकदमा करा दिया।
इसी तरह ठाकुर बहुल सुरक्षित विधान सभा क्षेत्र केराकत डोभी में तो विचित्र स्थिति है। यहां सपा के दो तीन बार रहे सांसद और वर्तमान विधायक तूफानी सरोज से राजपूतों की नाराजगी एक दशक से है। आज भी जख्म हरा है। मछली शहर सीट से इनकी बेटी प्रिया सरोज को जहां नुकसान है, वहीं ठाकुरों के पास बसपा का सभ्य प्रत्याशी विकल्प था। लेकिन, वह लडाई में कमजोर है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी जो पिछले चुनाव में पूरक नम्बर से पास हुए और ठाकुरों को मिलाने की बजाय अपने बयान, प्रचार में व्यवस्था न दे पाने के कारण अपनी पार्टी के सवर्ण वोटरों को उत्साह विहीन कर दिए हैं।
यदि ये वोटर नहीं निकले तो अबकी पूरक नम्बर भी मिलना मुश्किल होगा! जौनपुर सीट पर बसपा प्रत्याशी व सांसद यादव, अदर बैकवर्ड को तोड़कर दलित वोटों के सहारे लड़ाई को त्रिकोणीय बना सकते हैं। तब तो वह सपा को कमजोर करेंगे। यदि ये कामयाब नहीं हुए तो यहां भी टक्कर भाजपा-सपा से होगी। इस तरह जिले की दोनों सीटों पर भाजपा को तगड़ी टक्कर मिल रही है और सीट फंसी है। यदि भाजपा वोटर घर से नहीं निकले तो अपने ही नम्बरों से उसे पटखनी मिलेगी। हालांकि उन्हें सक्रिय करने में आरएसएस की फौज लगी है। अब वह कितना सफल होगी वक्त बताएगा। क्योंकि, भाजपा की फौज यानी कार्यकर्ता थम गए हैं और कमांडर यानी नेता उन्हें दौड़ने की व्यवस्था नहीं दे पा रहे हैं।
(फाइनल विश्लेषण अगली कड़ी में)

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