डायट में 1.75 करोड़ का घोटाला, शासन ने की बड़ी कार्रवाई
जौनपुर।
गुलाम साबिर
तहलका 24×7
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में करोड़ों रुपये की वित्तीय हेराफेरी का बड़ा मामला सामने आया है। जांच में तत्कालीन प्राचार्य डा. राकेश सिंह और लिपिक शुभम सिंह की मिलीभगत उजागर हुई है। शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए लिपिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जबकि पूर्व प्राचार्य पर कार्रवाई की तैयारी शुरु कर दी गई है।

जानकारी के अनुसार, डीएलएड प्रवेश काउंसिलिंग के दौरान प्रति छात्र 10 रुपये की धनराशि परीक्षा नियामक प्राधिकरण (पीएमपी) के पास जमा होती है, जिसे काउंसिलिंग पूर्ण होने के बाद डायट के खाते में स्थानांतरित किया जाता है। यह धनराशि आगे संबंधित विद्यालयों को भेजी जानी थी, मगर पूर्व प्राचार्य ने इसे विद्यालयों तक पहुंचाने के बजाय अन्य मदों में खर्च दिखा दिया। सूत्रों के मुताबिक, यह हेराफेरी दो वर्ष पूर्व की गई थी।

इतना ही नहीं, डीएलएड कापियों के मूल्यांकन का पारिश्रमिक भी परीक्षकों को नहीं दिया गया। जब विद्यालय संचालकों ने बकाया भुगतान की मांग की तो वर्तमान प्राचार्य डा. विनोद शर्मा ने पीएमपी से डिमांड भेजी। वहां से जवाब मिला कि “राशि तो पहले ही डायट जौनपुर के खाते में भेज दी गई थी।”शिकायत के बाद शासन ने सख्ती दिखाते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसमें वाराणसी के संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह, आजमगढ़ के तत्कालीन जेडी और पीएमपी के रजिस्ट्रार शामिल थे।

जांच टीम ने गहराई से जांच की तो लगभग 1.75 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ। रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह ने पुष्टि करते हुए कहा कि डायट में वित्तीय अनियमितता की शिकायत सही पाई गई। लगभग 1.75 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। संबंधित लिपिक को निलंबित किया गया है।सूत्रों का कहना है कि जांच अभी सतही स्तर पर हुई है। यदि पूर्व प्राचार्य के पूरे कार्यकाल की परतें खोली जाएं, तो घोटाले की रकम कई गुना अधिक निकल सकती है।








