अण्डे व मांस के लिए बत्तख पालन सर्वाधिक उपयोगी
डा.आलोक सिंह पालीवाल
पशु पालन विभाग (उप्र)
अण्डे व मांस व्यवसायियों के लिए डाक्टर आलोक सिंह पालीवाल ने मुर्गीपालन की अपेक्षा बत्तख पालन को सर्वाधिक उपयोगी बताया|उन्होंने कहा कि किसान कम पूंजी के खर्च में अधिक लाभ कमा सकते हैं। जहां मुर्गी फार्म डालने के लिए कम से कम सत्तर हजार रूपये की लागत आती है, वहीं बत्तख पालन कम खर्च में शुरू किया जा सकता है। एक बात अवश्य ध्यान देने की है कि जलीय जीव होने के कारण इसका पालन शान्तिपूर्ण तथा जल भराव वाले क्षेत्र में उपयुक्त होता है। 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान इनके लिए उपयुक्त होता है।इनका शेड प्रकाशयुक्त व हवादार होना चाहिए।
आहार के रूप में ये मछली और अन्य जलीय कीड़े-मकोड़ों के अलावा चावल, चोकर व मक्का गीले अवस्था में अधिक पसन्द करती हैं। सूखा आहार इन्हें नहीं देना चाहिए क्योंकि सूखा आहार इनके गले में फंस जाता है। कभी कभी जानलेवा भी साबित होता है। भारत में मुर्गी पालन के बाद बत्तख पालन का दूसरा स्थान है। बत्तख के अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। मुर्गी की अपेक्षा इनके द्वारा अण्डे व मांस पर्याप्त मात्रा में प्राप्त किया जा सकता है।
बत्तख की उन्नत नस्लें एक साल में 300 से अधिक अंडे देती हैं।अण्डे के लिए जहां इंडियन रनर प्रजाति सर्वोत्तम मानी जाती है वहीं मांस उत्पादन के लिए सफेद पैकिंग, एलीसबरी, मास्कोवी राउन, स्वीडन आदि उन्नत किस्म की प्रजातियां हैं।अंडे व मांस दोनों के लिए खाकी कैंपबेल नामक बत्तख सर्वोत्कृष्ट है। मुर्गियों की अपेक्षा इनमें बीमारियां भी कम पायी जाती हैं। कुल मिलाकर अंडे व मांस के उत्पादन की दृष्टि से बत्तख पालन मुर्गीपालन की अपेक्षा सर्वाधिक उपयोगी है। किसान कम पूंजी में अपनी अर्थव्यवस्था सुदृढ कर सकता है।