गलत तथ्यों पर मिली जमानत को समानता के लिए नहीं बनाया जा सकता आधार
# हाईकोर्ट ने डकैती-हत्या के आरोपी की जमानत अर्जी की खारिज
प्रयागराज।
तहलका 24×7
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डकैती-हत्या के एक मामले में जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। जज ने कहा, यदि सह अभियुक्त को तथ्यों की सही जानकारी नहीं होने के कारण जमानत दे दी गई है, तो दूसरे अभियुक्त को समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए जमानत नहीं दी जानी चाहिए।जमानत याचिका खारिज करने का यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने प्रयागराज के वारिस खान की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

कोर्ट ने कहा, यदि जमानत देने वाले आदेश में गलत तथ्य शामिल हैं तो कोई जज समानता के आधार पर आरोपी को जमानत देने के लिए बाध्य नहीं है। यदि कोई अवैधता न्यायालय के संज्ञान में लाई जाती है तो उसे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।वारिस खान पर प्रयागराज के होलागढ़ थाने में डकैती के साथ हत्या, चोरी की संपत्ति प्राप्त करना और शस्त्र अधिनियम की धारा के तहत मुकदमा दर्ज है।

आरोप है कि शिकायतकर्ता के भाई और उसके बच्चों पर पांच हमलावरों शारिक, वारिस, शाहरुख, डाबर और फरमान ने हमला किया और उनकी हत्या कर दी।कोर्ट ने कहा कि इन पांचों हमलावरों को एक साथ गिरफ्तार किया गया था। सभी ने अपराध स्वीकार कर लिया था। याची ने फरमान के साथ मिलकर अपने हाथ में चाकू होने की बात स्वीकार की थी। याची के वकील का कहना था कि सह अभियुक्त फरमान को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। समानता के आधार पर याची को भी जमानत दी जाए। याची 2020 से जेल में है।

अपर शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि फरमान को जमानत इस आधार पर दी गई कि तीन साल से चार्जशीट दाखिल नहीं की गई, जबकि चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दीपक यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के फैसले का संदर्भ देते हुए कहा कि इस मामले में समानता का सिद्धांत लागू नहीं होता, क्योंकि फरमान की जमानत भौतिक तथ्यों को छुपाकर प्राप्त की गई।कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया।








