चित्रा नक्षत्र व सोमवार को नागपंचमी पर्व है विशेष फलदाई
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
नागपूजन का विशेष पर्व नागपंचमी इस वर्ष 21 अगस्त सोमवार को पर रहा है। चित्रा नक्षत्र व सोमवार के दिन नागपंचमी का संयोग बहुत फलदाई होता है। श्रावण शिव को समर्पित है। शिव की अर्चना के साथ इस दिन नागों की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है शिव संग नागों की अर्चना से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। विद्वानों का कहना है कि यजुर्वेद के रूद्राष्टाध्यायी एवं वाल्मीकि रामायण में भी सर्प पूजन का वर्णन मिलता है। सर्प भगवान शिव के आभूषण माने जाते है। नाग सूर्य एवं शक्ति के अवतार है। नागपंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, तक्षक, करकोंटक और पिंगल पांच नागों की उपासना की जाती है। आस्तिक ऋषि ने जनमेजय के सर्प यज्ञ में पाताल वासी तक्षक सर्प को भस्म होने से बचाया था इसलिए “आस्तिक आस्तिक'” पुकारने से सर्प का क्रोध शान्त हो जाता है।
इस दिन चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर शिव को चढ़ाएं दूध से स्नान कराकर सुगंधित इत्रादि अर्पित करने तथा नवनाग श्लोक, सर्पसूक्त का पाठ करने से भगवान रुद्र प्रसन्न होते है और समस्त पापों का शमन हो जाता है, साथ ही सर्प- भय से भी मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार नाग देवता को क्षति होने के भय से इस दिन खेत की जुताई एवं नींव आदि की खुदाई नहीं की जाती है।