छह माह में कोटे की पांच दुकानें हुईं निलंबित और 22 हुईं निरस्त
जौनपुर।
रविशंकर वर्मा
तहलका 24×7
शासन की ओर से गरीबों के लिए चलाई जा रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कोटेदार जमकर डाका डाल रहे हैं। आलम यह है कि खाद्यान्न की धांधली को लेकर बीते अप्रैल माह से सितंबर माह तक पांच कोटे की दुकानें निलंबित हुईं और 22 दुकानें निरस्त कर दी गईं। ग्रामीणों की शिकायतों पर पूर्ति विभाग की टीम कोटेदारों के स्टाॅक व वितरण रजिस्टर की जांच-पड़ताल में भी जुटी है।
जिले भर में दो हजार 101 कोटे की दुकानें हैं। इसमें 88 नगर में जबकि दो हजार 13 दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इन दुकानों से संबद्ध कुल आठ लाख तीन हजार 255 कार्डधारक जीविकोपार्जन के लिए उचित दर पर राशन उठान करते हैं। इसमें छह लाख 77 हजार 783 पात्र गृहस्थी जबकि एक लाख 25 हजार 472 अंत्योदय कार्डधारक हैं। इसमें 30 लाख 74 हजार 724 यूनिट पात्र गृहस्थी, चार लाख 21 हजार 159 यूनिट अंत्योदय कार्डधारकों को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है।
पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति व्यक्ति दो किलो गेहूं, तीन किलो चावल जबकि अंत्योदय कार्डधारकों को प्रति व्यक्ति 14 किलो गेहूं, 21 किलो चावल दिया जाता है। गरीबों के खाद्यान्न में कोटेदार लाखों रुपये इधर से उधर कर रहे हैं। राशन व गैस में अनियमितता पाये जाने पर बीते अप्रैल से सितंबर तक पांच कोटे की दुकानें निलंबित हुईं और 22 दुकानों निरस्त कर दी गईं। जबकि सात दुकानों पर एफआईआर दर्ज हुआ। इस दौरान घटतौली की शिकायत पर पहुंची टीम ने मौके से पकड़े गए खाद्यान्न की नीलामी कराके 13 लाख 83 हजार 196 रुपये सरकारी खजाने में जमा कराया, जबकि दो लाख सात हजार रुपये जुर्माना लगाया गया।
इस संदर्भ में जिला पूर्ति अधिकारी संतोष विक्रम शाही ने बताया कि समय-समय पर कोटे की दुकानों पर जांच पड़ताल की जाती है। अनियमितता बरतने पर बीते अप्रैल से सितंबर तक पांच कोटे की दुकानें निलंबित की गई जबकि 22 दुकानें निरस्त कर दी गईं। कोटेदारों को निर्धारित दर पर लाभार्थियों को राशन देने के लिए निर्देशित किया गया है।