जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ किया गया विश्वासघात: उमर अब्दुल्ला
नई दिल्ली।
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र पर अपने वादों को पूरा न करके लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों के साथ विश्वासघात करने और राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी करके अविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया।वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका हरिंदर बावेजा की नवीनतम पुस्तक, “दे विल शूट यू, मैडम: माई लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट” के विमोचन के अवसर पर रविवार को बोलते हुए, अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार पहले जम्मू-कश्मीर और अब लद्दाख के लिए अपने रोडमैप पर अमल करने में विफल रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि लद्दाख को “असंभव” आश्वासनों से गुमराह किया गया है।उन्होंने कहा कि जब आप चाहते थे कि वे (लद्दाख) हिल काउंसिल चुनावों में हिस्सा लें, तो आपने उन्हें छठी अनुसूची देने का वादा किया था। सभी जानते थे कि लद्दाख को छठी अनुसूची देना लगभग असंभव था। एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान से सीमा साझा करने वाले इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी रक्षा उपस्थिति की आवश्यकता होती है, जिसे छठी अनुसूची असंभव बना देती है। फिर भी, आपने चुनावी भागीदारी दिलाने के वादे किए।

55 वर्षीय नेता ने लद्दाख नेताओं, खासकर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के प्रति रुख में अचानक आए बदलाव की भी आलोचना की।उन्होंने पूछा “एक सज्जन, जो कल तक प्रधानमंत्री की पर्यावरण योद्धा के रुप में प्रशंसा कर रहे थे और 2019 में लद्दाखियों के सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दे रहे थे, तब किसी ने उनमें कोई दोष नहीं पाया। आज अचानक एक पाकिस्तानी कनेक्शन मिल गया।

दो दिन पहले ऐसा कुछ नहीं था।यह कहां से आया?
लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रुप ले लिया, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों में शामिल वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में ले लिया गया।

जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की माँग पर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, आपने हमें बताया था कि यह तीन चरणों वाली प्रक्रिया है। पहले परिसीमन, फिर चुनाव और अंत में राज्य का दर्जा। पहले दो चरण पूरे हो चुके हैं, लेकिन तीसरा चरण अभी तक पूरा नहीं हुआ है और फिर आपको आश्चर्य हो रहा है कि विश्वास की कमी क्यों है।
अब्दुल्ला ने आगाह किया कि हाल के संसद और विधानसभा दोनों चुनावों में जम्मू-कश्मीर निवासियों की अभूतपूर्व भागीदारी के बावजूद, अविश्वास की कमी जनता का विश्वास कम कर रही है।

उन्होंने राज्य के दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों की ओर भी इशारा किया, जिसमें केंद्र से जम्मू-कश्मीर का दर्जा बहाल करने के अपने वादे को पूरा करने का आग्रह करने वाले याचिकाकर्ताओं को पहलगाम आतंकी हमले जैसी जमीनी हकीकतों पर विचार करने के लिए कहा गया था।