मऊ : 44 वर्ष पुराने मामले में आया फैसला
# 17 लोग दोषी करार, 23 आरोपियों को किया गया था नामजद
मऊ।
तहलका 24×7
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी ने वर्ष 1979 में कोतवाली घोसी में घुसकर आरोपी को छुड़ाने के लिए पुलिसकर्मियों से मारपीट और ट्रक में आग लगाने सहित सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में नामजद 23 आरोपियों में 17 को दोषी पाया है।
अभियोजन के अनुसार कोतवाली घोसी में तैनात आरक्षी कैलाश सिंह की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। वादी का कथन था कि 17 फरवरी 1979 को दिन में 12:15 बजे सर्वोदय डिग्री कॉलेज के छात्र इंद्रपाल की ट्रक से दब जाने के कारण मौत हो गई थी। हादसे से गुस्साए छात्र नारा लगाते हुए कोतवाली घोसी के अंदर घुस गए। हवालात से ट्रक चालक श्रीपति को बाहर निकालने का प्रयास किया। थाने की कुर्सी, मेज तोड़ दी। सिपाहियों की वर्दी फाड़ दी। हादसे का कारण बने ट्रक में आग लगा दी। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। छात्रों के हमले से सिपाही रविंद्र सिंह, कैलाश सिंह व राम प्रसाद सिंह तथा आरोपी चालक श्रीपति को चोटें आईं।
पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज कर वाद विवेचना आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए अभियोजन अधिकारी ने कुल सात गवाहों को पेश किया। सीजेएम ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद असलम खां, पहाड़ी उर्फ राजेश, उदयनरायन सिंह, तसलीम, इंद्रपाल, भोला, बगेदू यादव, रामबचन, श्रवण राम, परमहंस सिंह, विजय सिंह, महातम राम, कपिलदेव यादव, मुहम्मद शाहेनवाज, अनिल कुमार, प्रेम शंकर सिंह और रामकृपाल को दोषी पाया।
# अब तक पांच आरोपियों की मौत
दोषी पाए जाने के बाद आरोपी मोहम्मद शाहनवाज के अनुपस्थित रहने के चलते उसकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया। बाकी 16 को परिवीक्षा पर 6-6 माह तक सदाचार बनाए रखने की हिदायत देते हुए छोड़ दिया गया। वहीं, रईस अहमद, जगन्नाथ, हरिनाम, जगदीश और श्याम नरायन की सुनवाई के दौरान मौत हो जाने के चलते उनके विरुद्ध मुकदमे की कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी।