लागू हुए नए श्रम कानून: कर्मचारियों को मिले कई नए अधिकार, बदला कामकाज का ढांचा
नई दिल्ली।
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मोदी सरकार ने देश में श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पुराने 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया है। अब उनकी जगह 21 नवंबर से चार नए श्रम कोड पूरे देश में लागू हो गए हैं। सरकार का तर्क है, 1930-1950 के बीच बने पुराने कानून आज की इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी और कामकाज की जरुरतों के अनुरुप नहीं थे। इसलिए इन्हें सरल बनाते हुए आधुनिक परिस्थितियों और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से चार नए कोड में बदला गया है।

चार लेबर कोड हैं, वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता 2020 है। जिसमें देशभर में न्यूनतम वेतन की सुनिश्चित गारंटी। ओवरटाइम पर दोगुना वेतन अनिवार्य होगा। अब न्यूनतम वेतन कर्मचारियों का कानूनी अधिकार होगा। नियुक्ति पत्र देना नियोक्ता के लिए अनिवार्य, सेवा शर्तें स्पष्ट करनी होंगी। कर्मचारियों को हर माह 7 तारीख तक सैलरी देना जरुरी होगा।

एक साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी का अधिकार, जबकि स्थाई कर्मचारियों के लिए पहले की तरह 5 वर्ष की शर्त। 40 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों का फ्री हेल्थ चेकअप। गिग वर्कर्स (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े कामगार) को भी पीएफ और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाए। पूरे देश में एक समान ईएसआईसी लागू।

राज्य सरकारों को मजदूरी बढ़ाने का अधिकार पहले की तरह बरकरार रहेगा।नए श्रम कोड लागू होने के साथ ही लंबे समय से लंबित श्रम सुधारों को गति मिली है। सरकार का दावा है कि इससे न केवल कर्मचारियों के अधिकार मजबूत होंगे बल्कि उद्योगों में पारदर्शिता और सुगमता भी बढ़ेगी।








