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Tuesday, May 7, 2024

जौनपुर : पत्रकार की तहरीर पर कथित एसपी के पीआरओ पर मुकदमा दर्ज

जौनपुर : पत्रकार की तहरीर पर कथित एसपी के पीआरओ पर मुकदमा दर्ज

# सुलह का दबाव बनाने व अभद्रता करने वाले दरोगा को बचाने में जुटी कोतवाली पुलिस

शाहगंज।
रवि शंकर वर्मा
तहलका 24×7
                  ज़मीन के विवाद में पुलिस अधीक्षक जौनपुर का पीआरओ बताकर पड़ोसी और पत्रकार को गाली व जान से मारने की धमकी देने वाले पर कोतवाली पुलिस ने संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया। जबकि दरोगा महेश सिंह के खिलाफ दी गई तहरीर पर कार्रवाई के बजाय पुलिस रफा-दफा करने के प्रयास में लगी रही। घटना से आक्रोशित पत्रकारों ने उच्चाधिकारियों समेत मुख्यमंत्री से शिकायत कर दरोगा की जांच कराकर कार्यवाही की मांग की है।
बताते चलें कि पुरानी बाजार मोहल्ला निवासी वीरेंद्र यादव पुत्र राधेश्याम का पड़ोसी से जमीन का विवाद है। जिसमें बुधवार को वीरेंद्र के मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने अपने को एसपी जौनपुर का पीआरओ बताते हुए वीरेंद्र से पड़ोसी के निर्माण कार्य को रोकने पर जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित अपने परिचित पत्रकार प्रीतम सिंह से मदद मांगने पहुंचा। पत्रकार ने उक्त नंबर पर फोन करके जानकारी लेना चाहा तो दूसरी तरफ से गाली गलौज और जान से मारने की धमकी दी गई।
मामले की जानकारी क्षेत्राधिकारी व प्रभारी निरीक्षक को दी गई। जांच के लिए लगे दरोगा महेश सिंह ने पीड़ित पत्रकार को भादी चुंगी तिराहे पर बुलाकर बुरा भला कहते हुए अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। आरोप है कि दरोगा ने विभागीय मामला होने की बात करते हुए फर्जी मुक़दमे में फंसाने की धमकी दे डाली। जिसकी शिकायत करने के लिए पत्रकार थाने पहुंचे जहां देखते ही दरोगा महेश आगबबूला हो उठे। पत्रकार को जमकर गालियों से नवाजते हुए सादे कागजों पर हस्ताक्षर कराया और बैठा लिया। घंटेभर बाद पहुंचे कोतवाल धर्मवीर सिंह ने पीड़ित पत्रकार को मुक्त किया।
पीड़ित पत्रकार ने धमकी देने वाले कथित पीआरओ और अभद्रता करने वाले दरोगा महेश सिंह के विरुद्ध तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने फोन पर धमकी देने वाले अज्ञात पर केस दर्ज किया। जबकि दरोगा की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शान्त कराने के प्रयास में जुटी रही।
गौरतलब है कि पूर्व में लॉकडाउन के समय दरोगा पर व्यापरियों के उत्पीड़न और धन उगाही का आरोप लगा था। जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राज करन नैयर ने क्षेत्राधिकारी अंकित कुमार को जांच के आदेश दिए थे। लेकिन कप्तान बदलते ही जांच की फाइल भी दबकर रह गई।

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