21.7 C
Delhi
Thursday, May 2, 2024

भाई बहन के पवित्र रिश्ते और विश्वास की पहचान है रक्षाबंधन

भाई बहन के पवित्र रिश्ते और विश्वास की पहचान है रक्षाबंधन

# रक्षाबंधन पर “तहलका 24×7” विशेष… 

स्पेशल डेस्क।
राजकुमार अश्क
तहलका 24×7
             सर्वप्रथम “तहलका 24×7” के स्नेही पाठकों को भाई बहन के पवित्र रिश्ते के पर्व रक्षा बंधन की बहुत बहुत बधाई.. भारत वर्ष को त्योहारों का देश कहा जाता है, अनेकता में एकता समेटे हिन्दुस्तान में हर माह किसी न किसी धर्म, सम्प्रदाय एंव संस्कृति का त्योहार आता रहता है। यह त्योहार का ही उत्साह होता है जिसके चलते हम अपनों के साथ खुशियों के पल बिता सकते हैं वर्ना आज के इस भैतिकवादी युग में किसी के पास इतना समय नहीं होता है कि एक दूसरे से मुलाकात कर उनकी खैरियत जान सकें।
वैसे तो हर त्योहार के पीछे अगर आध्यात्मिक कारण होता है तो उसका धार्मिक कारण भी होता है अगर धर्म से कोई त्योहार जुड़ा है तो उसका वैज्ञानिक कारण भी अवश्य होता है। ठीक इसी प्रकार भाई-बहन के पवित्र प्रेम से जुड़ा त्योहार है राखी जिसे हम रक्षा बंधन के नाम से भी जानते हैं। यह त्योहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भारत के अलग-अलग प्रांतों मे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, इसी त्योहार पर आज हम वैज्ञानिक पहलू पर प्रकाश डालेंगे। यह तो हम सभी जानते हैं कि रक्षासूत्र का अर्थ होता है वह सूत्र जो रक्षा के लिए बाधा जाए।

इतिहास को अगर खंगाला जाए तो ऐसे कई उदाहरण मिल जाएगें जिसमें भाई ने अपनी बहन की रक्षा के लिए उसकी लाज बचाने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा कर उसकी लाज बचाई। बहन के अपमान का बदला लेने के लिए अपने पूरे कुटुम्ब का सर्वनाश करवा दिया। इसी रक्षा सूत्र को भेज कर एक क्षत्राणी ने मुसलमान को अपना भाई बनाया था। मगर इस रक्षा सूत्र का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है यह बिरले लोग ही जानते होगें?

प्राचीन काल में आज की तरह बाजार में बिकने वाली राखी बहनें अपने भाई की कलाई पर नहीं बांधती थी बल्कि खुद रक्षा सूत्र बनाने के लिए चंदन, केसर, अक्षत, सरसों के दाने, दूर्वा जिसे दूब घास के नाम से जाना जाता है इन सब वस्तुओं को लाल रंग के रेशमी कपड़े में बांधकर मंत्रोच्चारण के साथ भाई की कलाई पर बांधती थी, इन सब सामाग्री का वैज्ञानिक दृष्टि से औषधीय गुण होता है, जो मनुष्य के शरीर पर सीधा प्रभाव डालता है।

चंदन शीतलता, सुगंध, आनंद का प्रतीक माना जाता है, इससे मनुष्य के जीवन में आनंद वैभव आता है उसी प्रकार केसर कफ, पित्त बात आदि का नाश कर ओज, तेज आदि में बृद्धि करता है। दूर्वा यानि दूब यह सद्गुण, कान्तिवर्धक, रक्त दोषनाशक आदि का प्रतीक होता है ठीक उसी प्रकार अक्षत विजयी एवं स्वस्थ रहने का प्रतीक होता है। सरसों के दाने चर्मरोग नाशक होतें है, यह उदर से सम्बन्धित अनेकों रोगों में लाभदायक होता है।
सबसे जरुरी वह वस्त्र होता है जिसमें इन सब महत्वपूर्ण सामाग्री को बांधा जाता है वह है रेशम का वस्त्र माना जाता है कि रेशम के वस्त्र में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होतीं है और यह क्षमता तब और भी अधिक बढ़ जाती है जब इतने सारे औषधीय एक साथ मिलकर उस वस्त्र में बंध जाते हैं। इसी कारण बहनें अपने भाई की कलाई पर इतने सारे औषधीय गुणों से युक्त राखी बांधती थी ताकि उसका भाई स्वस्थ रहे, उसकी कीर्ति चारों दिशाओं में फैले वह ओजस्वी रहे, धन्य है हमारी परम्परा जिसके पीछे इतने सारे वैज्ञानिक आधार जुड़े हैं।

तहलका संवाद के लिए नीचे क्लिक करे ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓

लाईव विजिटर्स

37177840
Total Visitors
561
Live visitors
Loading poll ...

Must Read

Tahalka24x7
Tahalka24x7
तहलका24x7 की मुहिम..."सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाएं हम" से जुड़े और पर्यावरण संतुलन के लिए एक पौधा अवश्य लगाएं..... ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

अनुशासनहीनता में डा. सिद्धार्थ पार्टी से निष्कासित

अनुशासनहीनता में डा. सिद्धार्थ पार्टी से निष्कासित जौनपुर।  गुलाम साबिर  तहलका 24x7               बहुजन समाज पार्टी के...

More Articles Like This