दोहरे हत्याकांड व दुराचार के चार दोषियों को फांसी, सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला
नूंह/पंचकूला।
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हरियाणा के बहुचर्चित डिंगरहेडी दोहरे हत्याकांड और दुराचार मामले में साढ़े सात साल बाद फैसला आया है। पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई है, जबकि छह आरोपियों को बरी कर दिया गया। सीबीआई की विशेष कोर्ट के इस फैसले को पीड़ित परिवार अपने वकीलों के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती देना वाला हैं।
नूंह के डिंगरहेडी केस में साढ़े सात बाद फैसला आने पर पीड़ितों ने जानकारी देते हुए बताया कि 10 अप्रैल 2024 को सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चार को मामले में दोषी करार दिया था, वहीं अदालत ने छह आरोपियों को बरी कर दिया था। दोषियों को आज कोर्ट ने सजा सुनाई है। परिवार ने बताया कि दोषियों को फांसी की सज़ा के फैसले से तो वे खुश है, लेकिन जिन छह आरोपियों को बरी कर दिया है, उन्हें भी वे दोषी मानते हैं।
अदालत ने किस आधार पर आरोपियों को मामले में बरी किया है, इसका पता तब चलेगा जब फैसले की कॉपी वकीलों को मिलेगी और फिर वे इस फैसले को वकीलों के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती भी देंगे।बताते चलें कि साल 2016 में 24-25 अगस्त की रात को नूंह के तावडू के डिंगरहेडी गांव में बदमाशों ने एक परिवार पर हमला कर दिया था।
इस दौरान नाबालिग समेत दो महिलाओं के साथ रेप किया गया, वहीं दंपति की हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा वारदात के दौरान पांच लोग घायल हुए। सनसनीखेज घटना से इलाके में हड़कंप मच गया था। मामले में एसआईटी की टीम बनाई गई। टीम ने जांच के दौरान दूसरे समुदाय के चार युवकों को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर किया था, जिनकी गिरफ्तारी के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल भी बन गया था।
सरकार ने बाद में पूरा मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने मामले में 12 लोगों को आरोपी बनाया, बाद में एक आरोपी ने खुदकुशी कर ली। करीब साढ़े सात साल तक मामले की सुनवाई चली और पंचकूला सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विनय उर्फ लंबू, जय भगवान, हेमंत चौहान, और अयान चौहान को मामले में दोषी माना। सभी दोषी बावरिया गैंग सदस्य रहे हैं। वहीं छह आरोपियों को कोर्ट बरी कर चुकी है, जबकि एक आरोपी को कोर्ट भगोड़ा करार दे चुकी है।