नपं खेतासराय अनारक्षित होने से बढ़ी सियासी गहमागहमी
# वार्डों की आरक्षण सूची से माहौल हुआ कहीं खुशी तो कहीं गम का
# जिले में चर्चित रहता है नगर पंचायत खेतासराय का चुनाव
खेतासराय।
अज़ीम सिद्दीकी
तहलका 24×7
नगर निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीतिक गलियारों की हलचलें तेज़ हो गई है। जिले में सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहने वाला नगर पंचायत खेतासराय का चुनाव होता है। चुनाव लड़ने वाले सम्भावित प्रत्याशी अपना उल्लू सीधा करने में लग गए है। आरक्षण सूची आने के बाद प्रत्याशियों की धड़कन बढ़ा दी है। लेकिन सूची से कहीं खुशी तो कहीं गम देखने को मिल रहा है। कितने तो इस उम्मीद थी कि इस बार किसी भी कीमत पर जीत हासिल करनी ही है। वहीं इस बार अध्यक्ष पद के लिए अनारक्षित हुआ है। इसके पहले तीसरी बार महिला के लिए आरक्षित हुआ था। आरक्षणों की सूची में इस बार अनारक्षित घोषित हुआ है।

वही वार्डो की आरक्षण सूची कितने सम्भावित उम्मीदवारों के दिल की अरमां आसुओं में बह गए। ऐसे में राजनीतिक के चाणक्य कहे जाने वाले नेता आपत्ति दाखिल करने के लिए वार्डों में घूम – घूमकर सहमति और हस्ताक्षर कराकर आरक्षण बदलवाने के लिए एड़ी चोटी का दम लगा रहे है। ताकि वार्ड का कमान किसी अन्य के हाथ में न चला जाएं। लेकिन चाणक्य की सभी नीति धरी की धरी रह गई और और वार्डो का आरक्षण सूची बरकरार है। सिर्फ अध्यक्ष का महिला सीट से अनारक्षित हुआ है।

# सन 1999 में खेतासराय को मिला था नगर पंचायत का दर्जा
यदि हम नगर पंचायत खेतासराय की बात करें तो इस क्षेत्र को नगर पंचायत का दर्जा सन 1999 में मिला था। इसका पहला निकाय चुनाव सन 2000 में हुआ था। जिसमें निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे निवर्तमान चेयरमैन वसीम अहमद को विजय हासिल की थी। एक आंकड़े के मुताबिक दो दशक बाद यहाँ पर कुल मतदाताओं की संख्या 15376, जिसमें महिला 7352 व 8015 पुरुष मतदाता है (जो घट बढ़ सकती है)। यहाँ पर कुल 13 वार्ड है। अब तक चार बार निकाय चुनाव हो चुका है। इस बार पांचवी बार सम्पन्न होगा। जिसमें से दो बार महिला सीट के लिए आरक्षित था। इस बार पुनः महिला के लिए आरक्षित हुआ था लेकिन चुनौती के बाद अनारक्षित हो गया है। यहाँ पर अध्यक्ष पद की कुर्सी समाजवादी पार्टी के खाते में रहती है। पिछली बार चुनाव में भाजपा बहुत उम्मीद में थी। राज्यमंत्री गिरीशचंद्र यादव की साख भी दांव पर लगी थी। लेकिन बीजेपी की भीतरघात के चक्कर में स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी चारों खाने चित्त हो गई थी। अब इस बार देखना है अध्यक्ष पद की कुर्सी किस पार्टी के खाते में जाती है। यह भविष्य की गर्भ में है।

# एक नज़र पिछले चुनावों पर
बता दें कि नगर पंचायत खेतासराय का दर्जा मिलने के बाद पहला निकाय चुनाव सन 2000 में सम्पन्न हुआ। जिसमें निर्दल के रूप में वसीम अहमद ने ताल ठोककर मैदान उतरे जहाँ प्रतिद्वंद्वी फारूक आज़म को हराकर जीत हासिल किया था। बताया जाता है कि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी से स्व. किशोरी लाल गुप्ता को टिकट मिला था। जिससे क्षुब्ध होकर पार्टी से बगावत करते हुए कृष्ण कुमार जायसवाल ने लोकतांत्रिक कांग्रेस से टिकट लेकर मैदान में उतरे थे। जिसमें हार का सामना करना पड़ा था।

दूसरी बार चुनाव 2006 में होता है। इस बार अध्यक्ष पद की सीट महिला के लिए आरक्षित हुआ था। जिसमें पूर्व चेयरमैन की पत्नी महज़बीन बानों ने समाजवादी पार्टी से ताल ठोककर मैदान में उतरी और अपने कामों के बदौलत जीत हासिल की। प्रतिद्वंद्वी के रूप में निर्दल प्रत्याशी रही निर्मला गुप्ता पत्नी स्व. जंगबहादुर गुप्ता को हार से सन्तोष करना पड़ा। तत्कालीन समय में हिन्दू महासभा से ममता गुप्ता पत्नी डॉ. अमलेंद्र गुप्ता ने किस्मत दांव पर लगाई थी। इधर बीजेपी से टिकट लेकर आरती जायसवाल पत्नी कृष्ण कुमार जायसवाल भी मैदान में थी। उधर बसपा से हकीकुन निशा पत्नी फारूक आज़म ने ताल ठोक कर मैदान में थी और हार का सामना करना पड़ा।

सन 2012 में तीसरी बार नगर निकाय चुनाव का एलान हुआ। परिसीमन के बाद महिला सीट आरक्षित हुआ तो एक बार पुनः समाजवादी पार्टी से टिकट लेकर महज़बीन बानों ने फिर से ताल ठोकी। उधर उनके प्रतिद्वंद्वी निर्मला गुप्ता पत्नी स्व. जंग बहादुर गुप्ता ने निर्दल के रूप में मैदान में उतरी। जहाँ कड़ी टक्कर देते हुए नौ वोट से विजयी घोषित हुई। जिससे वसीम को हैट्रिक लगाने से रोक दिया। तत्कालीन समय में चर्चा था कि महजबीन बानों अपने समर्थकों के भीतरघात के चलते चुनाव में परास्त हुई। तत्कालीन समय में बीजेपी उषा मौर्या को टिकट देकर मैदान उतारा था जो एक सैकडा वोट में सिमटकर रह गई थी।

चौथी बार चुनाव बीजेपी की लहर 2017 में सम्पन्न हुआ। इस बार सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ। जिसमें प्रमुख दलों ने अपने – अपने प्रत्याशियों को टिकट देकर मैदान में उतारा। सीट अन्य पिछड़ा वर्ग होने के नाते आठ प्रत्याशी मैदान में थे। जहाँ सपा दांव खेलते हुए वसीम अहमद को टिकट दिया। भाजपा ने संजीव गुप्ता को टिकट देकर मैदान में उतारा। इधर कड़ी टक्कर देने के लिए निर्मला गुप्ता पत्नी स्व. जंग बहादुर गुप्ता भी मैदान में उतरी तथा बसपा से विनीता मौर्या ने भी ताल ठोक कर किस्मत दांव ओर लगाई। वही राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने फारूक आज़म को टिकट देकर मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने युवा पर दांव लगाते हुए फहीम अहमद को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में वसीम अहमद अपने प्रतिद्वंद्वी निर्मला गुप्ता को परास्त कर जीत हासिल किया। इस चुनाव में बीजेपी पूरी उम्मीद के साथ सीट पर कब्जा जमाने का प्रयास किया था। लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा था। प्रतिद्वंद्वी निर्मला गुप्ता को छोड़कर बाकी अन्य प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।

# 2023 में वार्डों के प्रस्तावित आरक्षण सूची
नगर निकाय चुनाव के लिए चुनौती के बाद अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण सीट में परिवर्तन होने के बाद शासन द्वारा आरक्षणों की सूची जारी कर दिया गया है। इस बार अध्यक्ष पद के लिए अनारक्षित है। वही वार्डों के लिए जारी आरक्षण सूची यथास्थिति बरकरार है। जिससे आरक्षण सम्भावित उम्मीदवारों में कही खुशी तो कही गम का माहौल देखने को मिल रहा है।

नगर पंचायत खेतासराय के आरक्षण सूची क्रमशः वार्ड सरवरपुर (अनारक्षित), डोभी (अनारक्षित), पोस्टऑफिस (अनु. जाति महिला), बभनौटी (अनु. जाति), भारतीय विद्यापीठ (अनारक्षित), सोंधी (पिछड़ा वर्ग), कासिमपुर (अनारक्षित), चौहट्टा (अनारक्षित), गोलाबाजार (पिछड़ा वर्ग), कोहरौटी (महिला), जोगियाना (महिला), बारा (महिला), भटियारीसराय (पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षित किया गया है।

परिसीमन के बाद जारी आरक्षण सूची के आधार पर सभासद के सम्भावित उम्मीदवारों की गणना फेल हो गई है। अन्य वार्डों में अपनी स्थिति को आकंलन कर रहे है, किस्मत आजमाने का मार्ग ढूढ़ रहे है। इसके लिए गुणा – गणित बैठाकर उल्लू सीधा करने में लगे हुए है। पिछली बार चुनाव में यानी (2017 में) नगर पंचायत खेतासराय अध्यक्ष पद के लिए आठ प्रत्याशी तथा विभिन्न वार्डो से 78 प्रत्याशी मैदान में थे। जिसमें से 13 वार्ड के लिए 13 प्रत्याशी चुने गए थे। बाकी 65 प्रत्यशियों को हार का सामना करना पड़ा था।