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Thursday, May 2, 2024

वाराणसी : प्रकृति का साथ हो तो लंबी उम्र की मिले सौगात- स्वामी शिवानंद

वाराणसी : प्रकृति का साथ हो तो लंबी उम्र की मिले सौगात- स्वामी शिवानंद

# काशी में 126 वर्षीय बाबा स्वामी शिवानंद पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

वाराणसी।
मनीष वर्मा
तहलका 24×7
                पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि प्रकृति के साथ रहने वाले व्यक्ति को लंबी उम्र प्राप्त होती है। इन ग्रंथों का उदाहरण विश्व की तपोभूमि काशी में देखने को मिला। काशी के दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर कॉलोनी में 126 साल की उम्र में स्वामी शिवानंद योगी की योग प्रतिष्ठा के रूप में। स्वामी जी ने कभी प्रकृति के नियमों को नहीं तोड़ा, वह आज भी ब्रह्म मुहूर्त में पूरी ऊर्जा के साथ योग करते हैं। उनके शरीर की चंचलता देखकर किशोर मन का अनुभव होने लगता है।

आज के युग में लोग 40 वर्ष के बाद तरह- तरह की बीमारियों के पहरे में हो जाते हैं। यह चिकित्सा विज्ञान के लिए भी शोध का विषय है। स्वामी शिवानंदजी ने आज तक किसी दवा का सेवन नहीं किया। उनकी दिनचर्या और सादा जीवन उन्हें उच्च और आध्यात्मिक विचार की ओर प्रेरित करता है। आज वह विश्व के सबसे अधिक वयस्क पुरुष के रूप में मान्यता रखते हैं। हालांकि वह इन सब चीजों में विश्वास नहीं रखते उन्हें अपनी मार्केटिंग का कोई शौक नहीं है वह एक आम आदमी की तरह अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, इसलिए हमेशा प्रचार प्रसार से दूर रहे। आज भी उनकी दिनचर्या का पूरा समय योग अध्यात्म और पूजा पाठ में व्यतीत होता।

स्वामी शिवानंद बाबा जी का आशीर्वाद मुझे भी मिला। बाबा के पास मैं पहले भी जाता था। दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर कॉलोनी के तीसरी मंजिल पर वह आसानी से बिना किसी सहारे के बच्चों की तरह 18 सीढ़ियां चढ़ जाते हैं। बाबा योगपुरुष है उनकी कोई स्कूली शिक्षा नहीं है। वह एक भिक्षुक के घर में पैदा हुए। अपने गुरु सद्गुरु ओंकारानंद गोस्वामी जी से दीक्षा ग्रहण कर दिव्य ज्ञान का लाभ लिए है। स्वामी जी निस्वार्थ निष्काम कर्मयोग एवं भक्ति मार्ग के प्रतीक हैं सदा आनंदमय जीवन प्रतीत करते हैं। वह आजन्म ब्रह्मचारी है। 26 जनवरी 2022 को उन्हें राष्ट्रपति की ओर से पद्मश्री के लिए नामांकित किया गया। बाबा आज भी तीन किलोमीटर पैदल चलते हैं। तीन दशक तक वे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, हंगरी समेत कई देशों की यात्रा भी की। आज भी घनघोर ठंड में बिना कपड़े के वह साधना करते हैं। 126 साल की अवस्था में उनके सिर के बाल पुनः काले हो रहे हैं। वह वाराणसी के कबीर नगर कॉलोनी में गुमनामी का जीवन व्यतीत कर अध्यात्म में लीन रहते हैं। भोर में तीन बजे से उनकी दिनचर्या शुरू होने के बाद वह रात्रि में 9 बजे विश्राम करते हैं।

भारत सरकार के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से उन्हें खोज निकाला। पद्मश्री मिलने के बाद अचानक चर्चा में आए और प्रशासनिक महकमा उनके घर पहुंचने लगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम राजनेताओं के फोन घनघनाने शुरू हो गए। वह आज भी उबला भोजन करते हैं। भोजन में नमक मसाला तेल का प्रयोग नहीं करते। हल्का सेंधा नमक उनके खानपान में शामिल है। स्कूली शिक्षा ना होने के बावजूद भी फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हैं। संस्कृत के श्लोकों में का भी उच्चारण शुद्ध रूप में करते हैं। उनसे आशीर्वाद पाकर मैं भी अपने को धन्य मानता हूं। बाबा के घर गुलाब जामुन और चाय पीकर मन प्रसन्न हुआ। हालांकि बाबा इन सब चीजों को ग्रहण नहीं करते। बाबा के साथ एक घंटे बैठकर उनकी शारीरिक स्वस्थता का राज जाना।

धर्म-कर्म और अध्यात्म पर चर्चा हुई। देश के कई नामी-गिरामी डॉक्टरों ने भी मेडिकल टेस्ट के जरिए उनके उम्र पर अध्ययन किया। देश और विदेश में बाबा के अनेकों शिष्य हैं मगर पश्चिम बंगाल के संजय जी एक कॉल पर बाबा के आश्रम में उपस्थित हो जाते हैं और बाबा के साथ पूरे देश का भ्रमण करते हैं।
बाबा के कुछ उपदेश निम्न है।

# धन से आपको औषधियां मिल सकती है, परंतु स्वास्थ्य नहीं।
# धन से आपको भोजन मिल सकता है, परंतु पाचन शक्ति नहीं।
# धन से आपको बिस्तर मिल सकता है, परंतु निद्रा नहीं।
# धन से आपको अलंकार मिल सकता है, परंतु सौंदर्य नहीं।
#धन से आपको पुस्तक मिल सकता है, परंतु बुद्धि नहीं।
# धन से आपको पात्र मिल सकता है, परंतु साधुता नहीं।                                                                       # धन से आपको मंदिर मिल सकता है, परंतु भगवान नहीं।
# बाबा का मानना है कि माता और पिता की मृत्यु के बाद मुखाग्नि की जगह चरणाग्नि देनी चाहिए। उन्होंने अपने माता पिता की मृत्यु के बाद चरणाग्नि दी थी। उक्त जानकारी वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर जनसंचार विभाग के डॉ. सुनील कुमार ने दी।

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