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Saturday, May 4, 2024

वित्तीय संकट : पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का वेतन का भार राज्य सरकार से उठाने की मांग

वित्तीय संकट : पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का वेतन का भार राज्य सरकार से उठाने की मांग

# पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विभाजन के बाद पीयू पर आया आर्थिक संकट

जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
             पूर्वांचल विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र भेज कर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को राज्य सरकार से वेतन दिए जाने की मांग की है। विश्वविद्यालय के बंटवारे के बाद उत्पन्न वित्तीय संकट से निबटने के लिए विश्वविद्यालय से 175 कर्मचारियों को आमजगढ़ विश्वविद्यालय से संबंद्ध किए जाने की मांग की है।

संघ के अध्यक्ष रामजी सिंह और महामंत्री डॉ. स्वतंत्र कुमार ने सचिव को भेजे गए पत्र में कहा कि विश्वविद्यालय के बंटवारे से वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। आजमगढ़ और मऊ जिले के महाविद्यालय 15 जून के बाद आमजगढ़ विवि से संबद्ध हो जाएंगे। इस वजह से विश्वविद्यालय की आय प्रभावित होगी। जिससे कर्मचारियों के समक्ष वेतन का संकट खड़ा जाएगा।

वित्तीय संकट से उबरने के लिए कर्मचारियों के वेतन का खर्च सरकार वहन करे। पूर्वांचल विश्वविद्यालय से दूसरे जिलों के महाविद्यालयों को संबद्ध किया जाए। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 175 कर्मचारियों को आजमगढ़ विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाए। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को भेजे गए पत्र में कहा कि सरकार कर्मचारियों की समस्या को देखते हुए उचित कदम उठाए।

# विवि को होगा करीब 36 करोड़ से अधिक का घाटा

बंटवारे के बाद पूर्वांचल विश्वविद्यालय की आय पर विपरीत असर पड़ेगा। सत्र 2020-21 में कुल करीब 4.70 लाख विद्यार्थी पंजीकृत थे। इसमें आजमगढ़ के 1.35 लाख और मऊ के करीब 91 हजार छात्र पंजीकृत थे। बंटवारे के बाद 2.26 लाख छात्र आजमगढ़ विश्वविद्यालय से जुड़ जाएंगे। करीब इतने ही दाखिले नए सत्र में भी संभावित हैं। विश्वविद्यालय को महाविद्यालयों से केवल परीक्षा शुल्क मिलता है। प्रति छात्र 1500 से 1600 परीक्षा शुल्क के रूप में विश्वविद्यालय को मिलता है। इस तरह से विश्वविद्यालय को परीक्षा शुल्क के रूप में मिलने वाले करीब 36 करोड़ का घाटा हर साल उठाना पड़ेगा।

# पूविवि में बचेंगे 23 एडेड कॉलेज

पूर्वांचल विश्वविद्यालय के बंटवारे के बाद 23 वित्तपोषित महाविद्यालय, 501 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय और 5 राजकीय महाविद्यालय बचेंगे। बंटवारे के पहले कुल 938 महाविद्यालय हैं। इसमें 892 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय, 37 वित्तपोषित महाविद्यालय और नौ राजकीय महाविद्यालय शामिल हैं। 

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