गर्मी में दुधारू पशुओं की देखभाल जरुरी : डा. पालीवाल
जौनपुर।
एखलाक खान
तहलका 24×7
गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल अत्यंत आवश्यक हो जाती है, क्योंकि तेज धूप और बढ़ा हुआ तापमान पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस मौसम में यदि पशुओं की सही देखभाल न की जाए तो उन्हें हीट स्ट्रेस, पानी की कमी, चारा न खाना, दूध में गिरावट और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

पशु चिकित्साधिकारी डा. आलोक सिंह पालीवाल बताते हैं कि सबसे पहले यह जरूरी है कि पशुओं को छायादार और ठंडी जगह पर रखा जाए। पशुशाला ऐसी हो जहां हवा का अच्छा आवागमन हो और दिन के समय तेज धूप से बचाव हो सके। यदि पशु खुले में बंधे हों तो उन्हें छाया जैसे पेड़ या टीन की छत के नीचे रखा जाए और छत पर पानी छिड़ककर उसे ठंडा रखा जाए। पशुओं को गर्मी में आरामदायक माहौल देना बहुत जरूरी होता है।

गर्मी के मौसम में पशुओं को पर्याप्त मात्रा में साफ और ठंडा पानी देना अनिवार्य होता है। जल की कमी से पशु थकावट महसूस करते हैं और उनका पाचन तंत्र प्रभावित होता है। उन्हें दिन में कई बार पानी पिलाना चाहिए और संभव हो तो ठंडे पानी से स्नान भी करवाना चाहिए जिससे शरीर का तापमान संतुलित रहे।

इस मौसम में पशुओं की भूख में भी कम हो जाती है, इसलिए उन्हें हल्का, सुपाच्य और पोषक आहार देना चाहिए। आहार में हरे चारे की मात्रा बढ़ानी चाहिए क्योंकि यह शरीर को ठंडक देता है। इसके साथ खनिज मिश्रण और नमक की नियमित आपूर्ति करनी चाहिए ताकि शरीर में आवश्यक लवण और पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके। सूखा चारा कम मात्रा में देना चाहिए क्योंकि यह शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है।

गर्मी के कारण पशुओं में हीट स्ट्रेस की समस्या देखी जाती है। इसके लक्षणों में तेज सांस लेना, अधिक लार बनना, थकान और दूध उत्पादन में गिरावट शामिल हैं। ऐसे में तुरंत पशु को ठंडे स्थान पर ले जाना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए। यदि स्थिति गंभीर हो तो पशु चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

गर्मी के मौसम में सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशुशाला को रोज़ाना साफ करना चाहिए और गोबर या पेशाब को समय पर हटाना चाहिए। पानी पीने के बर्तन और चारे की नांद को भी नियमित रूप से धोना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके। मच्छर और मक्खियों से बचाव के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना लाभकारी होता है। पशुओं के शरीर पर मच्छर-रोधी दवाएं लगाई जा सकती हैं, जिससे वे कीटों के काटने से सुरक्षित रह सकें।

गर्मी में भी पशुओं का नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य परीक्षण करवाना आवश्यक होता है। इससे बीमारियों की रोकथाम होती है और पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं। समय पर टीकाकरण, संतुलित आहार, स्वच्छता और ठंडक देने की व्यवस्था करके दुधारू पशुओं को गर्मी के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है और उनका दूध उत्पादन बनाए रखा जा सकता है।