गलाघोंटू टीकाकरण: पशुधन का गला घोंटने को तैयार विभाग
सुइथाकला, जौनपुर।
राजेश चौबे
तहलका 24×7
कृषि प्रधान देश में सुख समृद्धि को आधार देने वाली आर्थिक क्रिया कृषि और पशुपालन है। जिसमें पशुपालन कृषि कार्य को बढ़ावा देने में अपनी अहम भूमिका निभाता है। मौजूदा समय में पशुपालन विभाग का स्वास्थ्य महकमा पशुधन का गला घोंटने को तैयार है। बारिश का मौसम सिर चढ़ आया, पर विभाग गलाघोंटू के टीकाकरण अभियान में फिसड्डी साबित होता दिख रहा है। जिसे लेकर पशुपालकों में पशुधन की रक्षा को लेकर निराशा छाई हुई है।

इस सन्दर्भ में जब विकास खण्ड के राजकीय पशु चिकित्सालय अढ़नपुर के गांवों के कुछ पशुपालकों से सम्पर्क साधा गया तो टीकाकरण अभियान में उनके द्वारा विभाग को फिसड्डी करार दिया गया। कुछ लोगों ने तो यहां तक बताया कि चिकित्सक का ही पता नहीं तो फिर टीकाकरण किस बात का।बता दें कि गलाघोंटू पशुओं के लिए घातक बिमारी है, जो जानलेवा साबित होती है। बारिश के समय होने वाली इस बिमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण बारिश से पहले हो जाना चाहिए, पर क्षेत्र में अभी तक इसका कहीं कोई नामो-निशान तक नहीं है।

डेहरी गांव निवासी पशु पालक मनोज यादव ने तो यहां तक कह दिया कि चिकित्सालय पर चिकित्सक ही नहीं रहते तो टीकाकरण बहुत दूर की बात है। वहीं प्रधान संघ अध्यक्ष व ग्राम प्रधान भगासा राम प्रकाश दुबे ने अफसोस जताते हुए इसे पशुपालकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया।छीतमपट्टी गांव निवासी पशु पालक डॉ. दिनेश कुमार सिंह ने टीकाकरण अभियान को शून्य पर बताया। 

प्रभारी पशु चिकित्सा अधिकारी डाक्टर अतुल कुमार से बात की गई तो उन्होंने जहां कर्मियों की कमी का रोना रोया वहीं, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने काल रिसीव न करना अपनी जिम्मेदारी समझा। बहरहाल इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि विभाग अपने कर्तव्यों के प्रति कितना सचेत है। जिसपर यह कहना कहीं से भी गलत नहीं कि गलाघोंटू टीकाकरण को लेकर पशुपालन विभाग पशुपालकों के पशुधन का गला घोंटने को तैयार है।