पाकिस्तान को झटका : बलूच नेता ने बलूचिस्तान के आजाद होने की घोषणा की
नई दिल्ली।
तहलका 24×7
बलूचियों के प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने पाकिस्तान से अलग होने की घोषणा कर दी, उन्होंने कहा कि उनका प्रांत सालों से पाकिस्तानी सेना और पुलिस की हिंसा का शिकार रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना यहां लगातार मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही है। लोग अपनी आवाज उठाते हैं, उन्हें गायब कर दिया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में एक पोस्ट भी सोशल मीडिया पर डाला है।

सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए मीर यार ने कहा कि बलूचियों ने अपनी आजादी का फैसला किया है और अब पूरी दुनिया को इस मामले पर चुप नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, तुम मारोगे हम निकलेंगे, हम नसल बचाने निकले हैं, आओ हमारा साथ दो। पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान की गलियों में बलूचों का विद्रोह हो रहा है, देशहित में लोग बलूचिस्तान का साथ दे रहे हैं, अब दुनिया को सिर्फ मूक दर्शक नहीं बनना चाहिए। अपनी अपील में उन्होंने भारतीय नागरिकों खासकर मीडिया वालों से, जिनमें यूट्यूबर्स और फेसबुक पर सक्रिय लोग भी शामिल हैं, अपील की है कि वे उनका साथ दें और बलूचियों को पाकिस्तानी न बताएं।

उन्होंने लिखा, हम पाकिस्तानी नहीं है, यहां पर पाकिस्तान का मतलब पंजाबी होता है, जिन्होंने कभी भी बॉम्बिंग का सामना नहीं किया है, उनके लोग कभी गायब नहीं होते हैं और न ही उन्होंने जेनोसाइड देखी है। मीर यार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर भारत के रूख का समर्थन किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि इस मामले पर उन्हें भारत का साथ देना चाहिए और पाकिस्तान पर पीओके खाली करने का दबाव बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान पीओके के लोगों का उपयोग मानव शील्ड के रूप में करता है। इन इलाकों में जो भी खून खराबा होता है, उसके लिए पाकिस्तानी सेना जिम्मेदार है। उन्होंने कहा पाकिस्तानी सैनिकों ने 1971 में जिस तरह से 90 हजार की संख्या में सरेंडर कर दिया था, ऐसा न हो कि वे एक बार फिर से ऐसी ही शर्मिंदगी का सामना करें।

मीर बलूच ने भारत और दुनिया के दूसरे देशों से उनके देश को मान्यता देने की अपील की है। कहा दुनिया को पाकिस्तान के उस नैरेटिव पर ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर बलूचिस्तान को मिला लिया था। बलूचिस्तान सालों से मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत करता रहा है। यहां पर बिना न्यायिक प्रक्रियाओं से ही सजा दे दी जाती है, विरोध करने वालों को गायब कर दिया जाता है। इनमें पाकिस्तानी सेना और पुलिस दोनों का हाथ है।