13.1 C
Delhi
Sunday, November 16, 2025

भारतीय न्याय व्यवस्था की नीव एवं आरम्भ

भारतीय न्याय व्यवस्था की नीव एवं आरम्भ

तहलका 24×7 विशेष
                    भारतीय न्याय व्यवस्था की नीव और आरम्भ 1600 में पड़ी थी, जब ईस्ट ऑफ़ इंडिया कंपनी को एक्सक्लूसिव ट्रेडिंग राइट मिले थे। यह कंपनी कोर्ट डायरेक्टर एंड गवर्नर को मिलकर बनी थी। 1661 में गवर्नर एंड कौंसिल को जस्टिस देने का राइट मिल गया। कंपनी फाइनेंस सेटलमेंट के लिए इंग्लिश लॉ को फॉलो किया करती थी। उस समय तीन प्रेसीडेन्सी थी मद्रास, बॉम्बे और कलकत्ता, शुरुआत मद्रास से हुई।
उस समय उसे मछलीपट्नम बोला जाता था। वहां के आम नागरिक अपनी छोटी छोटी समस्या राजा तक नहीं पहुंचा पाते, तो उन्होंने अंग्रेजो को अपनी समस्या सुनाना शुरू कर दिया। इस तरह अंग्रेज, जो सिर्फ व्यापर करने आए थे वो  व्यापार के साथ साथ सिविल कोर्ट बनाकर न्याय पालिका का हिस्सा बन गए। वहां पर अंग्रेजो ने ब्लैक टाउन एंड वाइट टाउन बनाया। 1686 में पहली अपील डाली गयी। इसमें एक मेयर, 12 एल्डरमैन और 60 से 120 बुरगेस्से थे।कोर्ट का नाम मेयर कोर्ट होता था। अपील  हमेशा गवर्नर  एंड  कौंसिल को जाती थी। छोटे अपराध के लिए सज़ा ज्यादा थी।
कलकत्ता में अंग्रेजो को जमींदारी दी गई थी, 3 गांव में एडमिनिस्ट्रेशन  पावर इस्तेमाल कर सकें।  उसी बीच प्लासी की लडाई (1757) बक्सर की  लडाई (1764) ने पूरा इतिहास बदल कर रख दिया। युद्ध के बाद वारेन  हास्टिंग प्लान 1772 आया। जब कलेक्टर का ऑफिस बनाया गया।  जिसका काम राजस्व वसूली और विवाद का निस्तारण करना होता था।मुफस्सिल  दीवानी  अदालत बनाई गई जहां कलेक्टर जज की तरह पेश आए और उसे डिस्ट्रिक्ट सिविल  कोर्ट का दर्जा मिला।
एक स्माल  कॉज कोर्ट बनाई गई जिसमे अधिकतम 10 रुपये तक की सुनवाई होती। उसका प्रमुख जमींदार होता था।  क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम  बनाया गया जो पहले अंग्रेजो के हाथो में नहीं था। वह नवाबो के हाथो में दिया गया।मुफस्सिल  फौजदारी  अदालत बनाई गई और उसका प्रमुख काजी और मुफ़्ती को बनाया गया। हास्टिंग ने रेवेनुए एंड  जुडिशरी के लिए अलग अलग कोर्ट बनाई।कॉर्नवॉलिस ने बाद में काफी चंगेस किये इंडियन  जुडिशरी सिस्टम में, सारी पावर कलेक्टर को दे दी।
कलेक्टर, चीफ  एडमिनिस्ट्रेटर बन गया रेवेनुए कलेक्शन एंड  डिस्प्यूट के लिए। कलेक्टर  जज  बना मुफस्सिल  अदालत में और मजिस्ट्रेट  का दर्जा दिया गया।मुफस्सिल अदालत के लिए जज को 1000 रुपये तक की सुनवाई तथा उसके ऊपर 5000 रुपये तक की सुनवाई सदर  दीवानी अदालत तथा उसके ऊपर Privy Council था। 1861 में सारी अदालत  को इंडियन हाईकोर्ट के अंदर एकीकृत किया गया, बाद में इसे Supreme Court के अंदर एकीकृत  किया गया।
लेखिका:
कीर्ति आर्या एडवोकेट
इंटरनल आडिटर एबीजी
मास्टर इन फाइनेंस हैं

तहलका संवाद के लिए नीचे क्लिक करे ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓

Loading poll ...

Must Read

Tahalka24x7
Tahalka24x7
तहलका24x7 की मुहिम... "सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाएं हम" से जुड़े और पर्यावरण संतुलन के लिए एक पौधा अवश्य लगाएं..... ?

एंटी रोमियो टीम ने महिला पर फब्तियां कस रहे युवक को दबोचा 

एंटी रोमियो टीम ने महिला पर फब्तियां कस रहे युवक को दबोचा  शाहगंज, जौनपुर।  विजय यादव तहलका 24x7          ...

More Articles Like This