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Saturday, April 27, 2024

जौनपुर : उपेक्षा का दंश झेल रहा शहीद जावेद खान की कब्र

जौनपुर : उपेक्षा का दंश झेल रहा शहीद जावेद खान की कब्र

 # शहीद को उचित सम्मान ना मिलने से शहीद परिवार व्यथित

# इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है केराकत के वीर जवानों की शहादत

केराकत।
विनोद कुमार
तहलका 24×7
                   क्षेत्र के नरहन ग्राम में एक ऐसा परिवार जो लगातार 3 पीढ़ियों से देश की सेवा में समर्पित है चाहे वह 65 की लड़ाई हो या 71 की जंग। हर पीढ़ी में परिवार का एक सदस्य देश सेवा करता आ रहा है। हम बात कर रहे हैं शहीद जावेद खान के परिवार की…
शहीद जावेद खान की शहादत की खबर जब उनके पैतृक गांव केराकत में हुई थी तो पूरा केराकत क्षेत्र बेटे की शहादत में अपने लाल की एक झलक पाने के लिए शहीद के घर उमड़ पड़ा था। भारत मां की जय के उद्घोष से पूरा केराकत नगर व क्षेत्र गूंज उठा था पर पूरे परिवार को आज भी सरकार के बेरुखे रवैये से अफसोस होता है। सरकार की बेरुखी भरे रवैये से व्यथित शहीद जावेद के बड़े भाई रिटायर्ड फौजी असफाक खान ने बताया कि हमारे छोटे भाई ने देश के लिए अपने आप को कुर्बान कर दिया हमे दुख के साथ गर्व भी है पर शहीद जावेद खान की कब्र को अगर देखा जाए तो शर्मसार करने वाला एहसास होता है।
शहीद जावेद खान की कब्र को देखकर अफसोस होता है कि सरकार शहीदों की शहादत का कैसा कुरूप तोहफा देती है। शहीद जावेद खान के परिवार का कहना है कि हमें सरकार से किसी तरह की सहायता राशि नहीं चाहिए पर सरकार कुछ ऐसे कड़े क़दम उठाएं ताकि जन्म जन्मांतर तक शहीद जावेद खान की मिसाल आने वाली पीढ़ियां देती रहे। शहीद के कब्रगाह पर शहीद स्तम्भ बनवाये जाए और दीवाल दुरुस्त करते हुए शहीद जावेद के नाम से सड़क व चबूतरे बनवाये जाए जो कि असल मायने में शहीद को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
अपने आंसू छलकाते हुए शहीद के बड़े भाई रिटायर्ड फौजी असफाक खान ने उक्त बातें कहीं। असल मायने में सोचने वाली बात है कि शहीद को उचित सम्मान न देकर हम अपनी आने वाली पीढ़ी को देश भक्ति से विरक्त तो नही कर रहें? शहीद को उचित सम्मान ना मिलना सरकार व प्रशासन के विफलता को दर्शाता है जबकि शासन प्रशासन के तमाम विफलताओं के बाद भी इस परिवार का एक सदस्य हर पीढ़ी में देश भक्ति के लिए फौज में अपनी सेवा देते रहे है और दे रहें है।
शहीद जावेद खान श्रीनगर में बड़ी मुठभेड़ में 3 आतंकियों को मारने के बाद शहीद हो गए थें। आज भी परिवार का एक लाल आसिफ खान ASC आर्मी सप्लाय कोर में कोटा राजस्थान में भारतीय सेना में सेवा दे रहें है। अब ऐसे देश भक्त परिवार के बलिदान पर सरकारी महकमा व अधिकारियों द्वारा उपेक्षा किसी पक्षपात से कम नहीं।सक्षम अधिकारी व सरकार को चाहिए कि शहीद जावेद के कब्रगाह का जीर्णोद्धार कर शहीद स्मारक व शहीद के नाम से सड़क बनवा कर शहीद को उचित सम्मान प्रदान करें। यही परिवार व क्षेत्रवासियों की भी यही मांग है। अगर इतिहास की बात करे तो केराकत के वीर जवानों की शहादत इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है बावजूद इसके भी केराकत क्षेत्र में शहीद स्तंभ यातो कूड़े के ढेर में तब्दील है या उपेक्षा का शिकार है।

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