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Tuesday, May 7, 2024

हर रूप में पूज्यनीय हैं श्रीकृष्ण जी महराज : प्रभाकर महराज

हर रूप में पूज्यनीय हैं श्रीकृष्ण जी महराज : प्रभाकर महराज

जौनपुर। 
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव 
तहलका 24×7 
             जफराबाद थाना क्षेत्र के अहमदपुर गांव निवासी वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राम सिंगार शुक्ल गदेला के यहां चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास श्री प्रभाकर महराज ने कृष्ण लीला का वर्णन करते हुए कहा भगवान श्री कृष्णा को भक्तों ने जिस रूप में देखा वह उसी रूप में उसे दर्शन दिए और कल्याण किया।
श्री कृष्ण को चाहे मित्र के रूप में लीजिए चाहे भगवान के रूप में ले लीजिए, हर रूप में हर जगह वह उपस्थित मिलते हैं। मित्र के रूप में सुदामा जब उनके महल पहुंचते हैं तो भगवान उनके स्वागत में नंगे पांव दौड़ जाते हैं, और मित्र धर्म का निर्वाह करते हुए उनका स्वागत करते हैं। महराज ने आगे कहा आज सत्य और सनातन संतो के बल पर कायम है। विस्तारित भी हो रहा है।
सनातन हमें जहां ज्ञान देता है, वहीं ध्यान और विज्ञान का भी बोध कराता है। सनातन सबको अपने में समाहित करके चलता है। कभी किसी के प्रति भेदभाव नहीं रखता।व्यास पीठ से बोलते हुए महराज ने जल, अग्नि, धरती, आकाश और वायु की परिभाषा को परिभाषित करते हुए कहा कि यही हमारे जीवन के निर्माण करने वाले हैं, पालन करने वाले हैं। अंत में अपने में समाहित कर लेते हैं।
आज आदमी वैभव और विलासिता से वशीभूत होकर धन अर्जित करने में व्यस्त है। धन के बल पर मानव में अहम आ गया है, लेकिन अहम को त्याग कर हम क्या हैं? पहचानिए तभी कल्याण होगा। अन्यथा कल्याण होने वाला नहीं है।कहा जब व्यक्ति का निधन होता है उस समय व्यक्ति धनहीन हो जाता है। लेकिन, वह परोपकार में, दान में और भगवान में विश्वास रखता है तो जीवन में और जीवन के बाद भी उसका गुणगान होता है। वह अपने कार्यों से समाज में बखाना जाता है।
मानव को अपने कार्यों को संपादित करते हुए भगवान की आराधना भी करते रहना चाहिए। इससे जीव  का कल्याण होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ईश्वर की आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती। ईश्वर अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करता।पर्यावरण के बाबत उन्होंने वृक्षों के कटान पर चर्चा करते हुए कहा कि एक वृक्ष 100 पुत्र के समान होता है। वह परोपकार के लिए जीता है, और जीवन भर परोपकार करता रहता है। लेकिन हम अपने सुविधा भोगी जीवन में उसको काट कर अपने लिए स्वयं संकट खड़ा कर रहे हैं।
वृक्ष से बड़ा परजीवी धरा पर कौन है? जो आपको प्राण वायु देने से लेकर फल तक देता है। बदले में आप उसे काट देते हैं। कथा प्रेमियों से अपील किया कि वृक्षों की रक्षा के साथ पौधारोपण कर पर्यावरण की रक्षा में सहयोगी बने। श्री व्यास जी ने कथा की अंतिम दिन सभी को सत्य अपना कर सत्य के मार्ग पर चलने का आग्रह करते हुए कहा सभी मानव धर्म के रास्ते पर चलकर अपने जीवन को सार्थक करते हुए भारत को विश्व गुरु बनाने में सहयोग करें।
इस मौके पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, शिक्षाविद समाजसेवी लालचंद यादव, कृष्ण कुमार मिश्र, दुर्गेश तिवारी, मनोज पांडे, राम अधार यादव, जोखू यादव, जयप्रकाश गौतम, समूह सम्पादक राम जी जायसवाल, अजय पांडेय, दिलीप शुक्ला सहित क्षेत्र के तमाम संभ्रांत नागरिक और पत्रकार उपस्थित रहे।

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