पीवी सिंधू हैं बड़े मंच की बड़ी खिलाड़ी, देश का नाम किया रोशन
नई दिल्ली।
स्पेशल डेस्क
तहलका 24×7
वह बड़े मैच में तनाव में आ जाती है, वह लगातार फाइनल हार रही है, वह फाइनल में हार की पहेली को सुलझा नहीं पा रही है, वह चोकर है..भले ही लोग इस समय पीवी सिंधू का गुणगान कर रहे हों लेकिन कुछ दिनों पहले तक उन्हें यह सब सुनना पड़ रहा था लेकिन वह चुनौतियों का सामना करती रहीं, कोर्ट पर डटी रहीं और जीतने के लिए जी जान लगा दी। इसका नतीजा है कि सिंधू ओलिंपिक में दो पदक जीतने वाली देश की दूसरी खिलाड़ी बन गई अब वह बड़े मंच की सबसे बड़ी खिलाड़ी हैं।
एक समय था जब साइना नेहवाल की जीत का शोर था। 2012 लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने बैडमिंटन में नई जान फूंक दी थी। उस समय सिंधू इस खेल की नई सनसनी बन रही थीं। सिंधू जहां जाती वहां पदक जीत लेती। देश को उनसे बड़े टूर्नामेंटों में पदक की आस होने लगी। वह भी किसी को निराश नहीं करतीं। उन्होंने 2013 और 2014 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और फिर 2017 और 2018 में रजत पदक अपने नाम किया। हालांकि बीच में एक खराब दौर आया जिससे उनका हौसला नहीं टूटा।
2009 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सर्किट पर पदार्पण किया था। उन्होंने हाल ही में स्वीकार भी किया था कि समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। उनकी लंबाई को देखते हुए उन्हें इस खेल में आने के लिए प्रेरित किया गया। उनकी सबसे ज्यादा प्रतिद्वंद्विता स्पेन की कैरोलिना मारिन से है। हालांकि दोनों दोस्त भी हैं। रियो ओलिंपिक के फाइनल में वह मारिन से स्वर्ण पदक का मुकाबला गंवा बैठी थी और इस बार मारिन के नहीं होने से उनकी राह कुछ आसान मानी जा रही थी।
सिंधू को लेकर पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन अपर्णा पोपट ने कहा कि उनकी लंबाई अच्छी है और वह इसका फायदा उठाते हुए अच्छे स्मैश मारती हैं। वह छह फुट की हैं और शारीरिक तौर भी काफी मजबूत हैं। उनके साथ अच्छे कोच गोपीचंद भी रहे जिसका फायदा उन्हें मिला लेकिन उनके खेलने का तरीका काफी अच्छा है। नेहवाल का जूनियर स्तर पर प्रदर्शन शानदार रहा है तो सिंधू का खास अच्छा नहीं रहा।