स्मृतिशेष पिता को एक विनम्र श्रद्धांजलि..
पिता, गये गोलोक!
पिता, गए गोलोक..
प्राण- पखेरू उड़ चले, गए हों जैसे है कोई विदेश..
कंचन जैसी काया हो जाती, पल क्षण में ही है मिट्टी..
सजने लगती घंटों भर में ही है बांस की देखो टिट्ठी..
घर-परिवार रिश्ता- नाता जिसने तिल तिल कर सींचा..
सांसो के थमते ही अपने, परायों सा बन हाथ खींचा..
बचपन में है थाम कर उंगली, चलना सिखाया जिसने..
खाने पीने सोने जागने का हर पल रखा ध्यान उसने..
घड़ी देखकर दाना पानी देते थे जिसे हम सब प्रतिदिन,
कैसे हैं हम दिन काटेंगे? एक एक अब है दिन गिन..
शैलेन्द्र कुमार मिश्र प्रधानाचार्य
सेंट थॉमस इंटर कॉलेज
शाहगंज, जौनपुर उप्र