जौनपुर : शिक्षविद् डॉ मनराज यादव की प्रथम पुण्यतिथि पर संगोष्ठी आयोजित
शाहगंज। राजकुमार अश्क तहलका 24×7 राम अवध पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य एवं शिक्षविद् डॉ मनराज यादव की प्रथम पुण्यतिथि पर सेंट थॉमस रोड स्थित उनके आवास पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश स्तर के विद्वानों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। सर्वप्रथम उनके चित्र पर सीमा यादव, राजेश यादव एवं परिजनों समेत मित्रों द्वारा माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया।डॉ मनराज यादव का पिछले साल कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते असामयिक निधन हो गया था।
राम अवध पीजी कालेज के प्राध्यापक डॉ विरेंद्र विक्रम सिंह यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्राचार्य जी के साथ मेरा तो अपनेपन का नाता था, यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे उन जैसे विद्वान के सानिध्य में काम करने का अवसर मिला, उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे बताया कि आपका जन्म 1 जुलाई सन् 1941 को जनपद के सरायगुंजा नामक छोटे से गांव में हुआ था, आपके पिता स्व. राम सुंदर यादव एक साधारण किसान थे तथा माता स्व. गुजराती देवी एक सरल स्वभाव की गृहणी थी। आपने सन् 1957 में हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और पूरे उत्तर प्रदेश में आपका दसवाँ स्थान रहा। 1959 में इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद सन् 1961 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए तथा 1963 संस्कृत से एमए प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।
इसी विश्व विद्यालय से 1969 में डीफिल की उपाधि ग्रहण की। हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज से जर्मन प्रोफिसिंएटिंग सर्टिफिकेट प्राप्त के पश्चात् सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की।आपके द्वारा लिखित पुस्तक आज भी इलाहाबाद के पब्लिक लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए रखी हुई है।डॉ राकेश कुमार यादव ने उनके व्यक्तित्व के विषय में बताते हुए कहा कि आपके विषय में बताना मतलब सूरज को दीपक दिखाने जैसा है, आप अगस्त 1966 से 1967 तक बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय के विदेशी भाषा विभाग में जर्मन भाषा के अंशकालिक प्रवक्ता के पद को भी सुशोभित किया था, तत्पश्चात 20 जून 1970 से लेकर दिसम्बर 1973 तक काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में प्रवक्ता के पद पर कार्य किया।
मंच संचालन कर रहे डॉ लाल रत्नाकर ने उनके व्यक्तित्व को असीमित बताते हुए कहा कि आपने संस्कृत साहित्य, हिन्दू धर्म दर्शन एवं सामाजिक विचारों का गहन अध्ययन किया। धर्मग्रंथों में वर्णित विषमता, वर्ण व्यवस्था, ऊंच-नीच का भेदभाव, पुनर्जन्म आदि पर अपनी पैनी दृष्टि से आंकलन कर इसे दूर करके समतामूलक समाज की स्थापना हेतु आजीवन संघर्षरत रहे।प्रधानाध्यापक और यादव महासभा उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष राममूर्ति यादव ने बताया कि आपको पूविवि जौनपुर में आईएएस और पीसीएस की निशुल्क कोचिंग का समन्वयक पद की भी जिम्मेदारी दी गई थी जिस पर आप पूरी तरह खरे उतरे थे।
उनके एक मात्र सुपुत्र राजेश कुमार यादव ने उन यादगार पलों को याद करते हुए कहा कि मुझे तो यह याद ही नहीं है कि बाबूजी ने कभी हम भाई बहनों को डांटा भी था, अगर हम लोग कभी गलती भी कर देते थे तो मारने की अपेक्षा हमें समझाते थे।डॉ मनराज यादव के परिवार में एक पुत्र दो पुत्रियाँ तथा तीन पौत्रिया हैं। उनको श्रद्धांजलि देने वालो में मुख्य रूप से विरेंद्र विक्रम यादव, राम कृपाल यादव, रामधारी यादव, गया प्रसाद यादव, चंद्र भूषण यादव, सुरेन्द्र कुमार यादव, राम जग यादव, ईश्वर देव यादव, राकेश कुमार यादव, ताखा डिग्री कालेज के प्राचार्य डाॅ सुधाकर, प्रधानाध्यापक राम मूर्ति यादव उपस्थित रहे।