पहलगाम हमले की जांच में खुलासा, M4 कार्बाइन, AK-47 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल
नई दिल्ली।
तहलका 24×7
राष्ट्रीय जांच एजेंसी और फोरेंसिक टीम ने पहलगाम आतंकी हमले के गहन विश्लेषण से पता चला है कि आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों पर हमले के दौरान अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन राइफल और एके-47 असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल किया। जांच दल ने मौके से 60 से 70 इस्तेमाल किए गए कारतूस भी बरामद किए हैं।मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवाद विरोधी एजेंसी अभी भी फास्ट-ट्रैक आधार पर चार्जशीट दाखिल करने के लिए सबूत इकट्ठा कर रही है।

अधिकारी ने कहा कि एजेंसी अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करेगी और जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करेगी। अधिकारी ने कहा, चार्जशीट दाखिल करने में अधिकतम 90 दिन लगते हैं, लेकिन इस मामले में एजेंसी 70 दिनों में चार्जशीट दाखिल कर सकती है। घटनास्थल से करीब 70 इस्तेमाल किए गए कारतूस बरामद किए गए, जिससे यह साबित होता है कि आतंकवादियों ने नरसंहार के लिए अमेरिका में बनी एम4 कार्बाइन राइफल और एके-47 असॉल्ट राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया।इन निष्कर्षों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी विशेष रूप से अफगानिस्तान से लाए गए लेटेस्ट और अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग हताहत हो रहे हैं।

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इन असॉल्ट राइफलों में लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से हिट करने के लिए और अधिक गैजेट जोड़े जा सकते हैं। एम4 कार्बाइन 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में विकसित एक 5.56×45 मिमी नाटो असॉल्ट राइफल है। यह M16A2 असॉल्ट राइफल का छोटा वर्जन है। ऐसा माना जाता है कि M4 कार्बाइन सहित अधिकांश लेटेस्ट और परिष्कृत हथियार अफगानिस्तान से लाए गए हैं।

दरअसल, पिछले साल श्रीनगर-सोनमर्ग हाईवे पर निर्माणाधीन जेड-मोड़ सुरंग के पास हुए हमले में आतंकवादियों ने एम4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया था। जेड मोड़ सुरंग हमले में छह मजदूरों और एक डॉक्टर सहित सात लोग मारे गए थे। असॉल्ट राइफलों में कई अटैचमेंट हैं, जिनमें बैलिस्टिक कैलकुलेटर, इमेज रेंजफाइंडर, नाइट विजन डिवाइस और गन-माउंटेड कैमरे शामिल हैं। ऐसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करते हुए, आतंकवादी काफी दूरी से भी अपने टारगेट को अधिक सटीकता से शूट करने में कामयाब रहे।

जांच में पाया गया है कि M4 कार्बाइन, हाई-रिज़ॉल्यूशन वीडियो, वाईफाई क्षमताओं, जीपीएस, इमेज स्टैबलाइजेशन और रेंजफाइंडर की विशेषता वाले थर्मल राइफल स्कोप से लैस है।30 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान से अमेरिकी सशस्त्र बलों की वापसी पूरी हो गई और तब से जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमलों में M4 कार्बाइन के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में स्टेट एक्टर्स द्वारा आतंकवादी संगठनों को ऐसे हथियारों का एक बड़ा जखीरा प्रदान किया जाता है। जांच में यह भी पता चला कि आतंकवादियों ने गोलीबारी जारी रखते हुए अपनी टोपी पर लगे गोप्रो कैमरों का इस्तेमाल किया और हमले को रिकॉर्ड किया।

यह तरीका पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट और कश्मीर टाइगर्स द्वारा किए गए कुछ पिछले हमलों जैसा ही है, जो पाकिस्तान स्थित एक अन्य आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रॉक्सी संगठन है।पहलगाम हत्याकांड में अब तक की गई जांच में पाया गया है कि कई आतंकवादी संगठनों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकी साजिश में प्रमुख भूमिका निभाई। अधिकारी ने कहा ओजीडब्ल्यू आतंकवादियों को रसद सहायता, नकदी, आश्रय और अन्य बुनियादी ढांचे के साथ मदद करते हैं।

जिसके साथ हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकवादी समूह जम्मू और कश्मीर में काम कर सकते हैं। पिछले 10-12 दिनों से जम्मू-कश्मीर में व्यापक तलाशी अभियान चल रहा है, जिसके बाद ऐसी सूचना मिली है कि राजौरी-पुंछ काफिले पर हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के समूह का संबंध पहलगाम घटना से है। एनआईए ने अब तक लगभग 20-25 ओवर ग्राउंड वर्कर की पहचान की है, जिन पर आतंकी हमले में मदद करने का संदेह है। अधिकारी ने कहा ऐसे कई ओवरग्राउंड वर्कर पहले ही पकड़े जा चुके हैं। कुछ अन्य पर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने कड़ी निगरानी रखी है।
जांचकर्ताओं को हमले के दौरान और उसके बाद इलाके में तीन सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल के बारे में भी सबूत मिले हैं। हमले से जुड़े सुराग और सबूत जुटाने के लिए व्यापक तलाशी अभियान चल रहा है, सुरक्षा एजेंसियां कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनंतनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामुल्ला और बांदीपोरा जैसे जिलों में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जमात-ए-इस्लामी के विभिन्न गुटों सहित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के सदस्यों और समर्थकों से जुड़े घरों की भी तलाशी ले रही हैं।अधिकारी ने बताया कि अब तक करीब 2,500 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।

एजेंसी फिलहाल करीब 200 लोगों से पूछताछ कर रही है। जांच के अनुसार, आतंकवादियों ने बैसरन घाटी, अरु घाटी और बेताब घाटी सहित कम से कम तीन संभावित लक्ष्यों की विस्तृत टोह ली थी। हालांकि, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण आतंकवादियों ने अन्य स्थानों पर हमला करने की अपनी योजना रद्द कर दी। जांच से पता चलता है कि आतंकवादी हमले से दो दिन पहले बैसरन घास के मैदानों में थे। घटना से जुड़े एक गिरफ्तार ओवर ग्राउंड वर्कर से पूछताछ के दौरान यह जानकारी सामने आई। जांच में 3D तकनीक का इस्तेमाल करने की बात भी सामने आई है. NIA घटनास्थल का एक हाई-रिज़ॉल्यूशन वाला 3D मॉडल बना रही है।

आतंकवाद निरोधी एजेंसी विस्तृत और सटीक घटना दृश्यों को फिर से बनाने के लिए ड्रोन निगरानी और फोटोग्रामेट्री सहित 3D तकनीक का उपयोग कर रही है। एजेंसी घटनास्थल का डिजिटल प्रोसेस फिर से बनाने के लिए सैटेलाइट तस्वीरों, ड्रोन द्वारा कैप्चर किए गए वीडियो और पीड़ितों के परिवारों, टट्टू संचालकों और दुकानदारों सहित प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी का उपयोग कर रही है।