बांग्लादेश को गुलामी के रास्ते पर ले जा रहे मो. यूनुस को ढाका से भागना पड़ेगा!
# डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ लेने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ बदलेगा राजनीतिक परिदृश्य, इस्लामाबाद की हुकूमत ढाका पर नहीं चलेगी, फिर सत्ता संभालेंगी शेख हसीना।
# पाकिस्तानी सेना के साथ बांग्लादेश के सैन्य अभ्यास की मंजूरी देने वाले मो. यूनुस के मंसूबे नहीं होंगे पूरे : स्वामी चिन्मयानंद
कैलाश सिंह
राजनीतिक संपादक
प्रयागराज/कोलकाता। तहलका 24×7 न्यूज
बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तान से जातिगत विद्वेष में नहीं, बल्कि अपने देश को सांस्कृतिक, भाषाई और अलग रहन-सहन के चलते संघर्ष करके आजादी दिलाई थी। उनकी विरासत को संभालने, संवारने के साथ देश की अर्थ व्यवस्था को ऊंचाई देने वाली उनकी बेटी निवर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना को अब अधिक दिन भारत में निर्वासित जीवन नहीं बिताना होगा। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प जब दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे तब वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया में बड़े पैमाने पर राजनीतिक परिवर्तन भी देखने को मिलेंगे।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन की परोक्ष नीतियों का नतीजा था पांच अगस्त 2024 को बांग्लादेश में तख्ता पलट। मो. यूनुस के नेतृत्व में वहां अंतरिम सरकार भी उन्हीं नीतियों का परिणाम था जो ‘पाकिस्तानी शह’ पर बांग्लादेश में हो रहे नरसंहार और बलात्कार ने इंसानियत को भी शर्मशार कर दिया है। अब अंतरिम सरकार के मुखिया मो. यूनुस ने पाकिस्तानी सेना के साथ बांग्लादेश के सैन्य प्रशिक्षण की सहमति देकर दुनिया को आखिरी संदेश दे दिया है कि जनता चाहे या न चाहे, ढाका की सेना इस्लामाबाद की सेना के साथ ही कदमताल करेगी।
उन्होंने शायद इसपर गौर नहीं किया कि जिस पाकिस्तानी सेना से लड़कर आमजन ने नया देश बनाया और अपना सैन्य संगठन मजबूत किया, उसी मुक्ति संग्राम के तमाम आंदोलनकारी युवा सेना का हिस्सा बने, वही अब कैसे मैत्री अभ्यास करेंगे? उसी सेना के अफसर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सुरक्षित सैन्य हेलोकॉप्टर से भारत के हिंडन एयरपोर्ट तक भेजा। अब वही सेना किस मानसिकता से संयुक्त प्रशिक्षण करेगी। ये सवाल वहां की सेना में ही नहीं, बल्कि आवाम के जेहन में भी गूंज रहा है।
दरअसल नये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ लेने से पूर्व बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस का बांग्लादेश को दुनिया के नक्शे से मिटाने का यह शायद आखिरी प्रयास है। अब वह देश छोड़कर भागेंगे, क्योंकि वहां का मूल जनमानस आवामी लीग और शेख हसीना के साथ है। 20 जनवरी को अमेरिका के नये राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रम्प आसीन हो जाएंगे, तब स्थिति बदलती नज़र आयेगी। यह बात भारत के पूर्व गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने ‘तहलका न्यूज नेटवर्क’ हुई खास बातचीत में कही।
प्रयागराज के महाकुंभ में आये स्वामी चिन्मयानंद जब ‘गंगा निर्मलीकरण को यात्रा गंगा सागर से प्रायागराज तक’ किये थे उससे पूर्व उन्होंने महीनों बांग्लादेश में प्रवास किया था। तब उन्होंने महसूस किया था कि इस देश की स्थापना सांस्कृतिक, भाषा यानी बोलचाल के साथ रहन-सहन के लिए आम जानमानस ने पाकिस्तान से मुक्ति संग्राम किया था। इसी जमीन पर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्म समर्पण किया था। अब वहीं के आतताई बर्बरता को भी मात दे रहे हैं। छह महीने में मो. यूनुस ने आजाद देश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान का इतिहास हर संभव मिटाने का काम किये हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ लेने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शेख हसीना को पुनः पद स्थापित करने का रास्ता बना सकते हैं।
स्वामी चिन्मयानंद कहते हैं कि पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास के लिए बांग्लादेश समझौता करके ऐतिहासिक भूल कर रहा है। इस समझौते से 1971 में हुए मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना के अत्याचार, 30 लाख से ज्यादा नरसंहार वहां के बाशिंदों के मानस पटल पर आज भी अंकित है, जो ढाका में मुखर विरोध का प्रमुख कारण बनेगा। ढाका यदि चुप रहा तो इस्लामाबाद को बल मिलेगा, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प और नरेंद्र मोदी की सक्रियता यह मंसूबा पूरा नहीं होने देगी।