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Sunday, March 23, 2025

महाकुंभ प्रायागराज: व्यवस्था पर भारी पड़ी सनातन की आस्था!

महाकुंभ प्रायागराज: व्यवस्था पर भारी पड़ी सनातन की आस्था!

# संगम बना सनातन संस्कृति के जागरण का प्रतीक, 144 साल के दुर्लभ शुभ मुहूर्त की घोषणा से जल-थल-नभ तक जाम, आस्था का अविरल प्रवाह सदियों बाद दिखा, इसमें धर्म, संप्रदाय और जाति का भेदभाव विलीन हो गया, इसका श्रेय सीएम योगी आदित्यनाथ को जाता है: स्वामी चिन्मयानंद

# iसदियों से महाकुंभ में मकर संक्रान्ति से मौनी अमावस्या तक रहती थी भीड़, बचे कल्पवासी व साधु-संत बसंत पंचमी के बाद शिवरात्रि में महादेव दर्शन व जलाभिषेक के लिए शिवालयों का रुख करते रहे, जो इस बार भी किए लेकिन अबकी बार उमड़ती जा रही भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही।

कैलाश सिंह
प्रयागराज/दिल्ली
तहलका न्यूज नेटवर्क.                                                          देश की आजादी से पूर्व प्रायागराज के संगम पर कुम्भ, अर्ध कुम्भ और महाकुंभ में लोग अपनी व्यवस्था के तहत तपस्या का भाव लेकर आते थे और एक माह तक कल्पवास करने वालों की सेवा में घर-परिवार का एक या दो सदस्य मौजूद रहता था। यहां आने वालों में भय नहीं, श्रद्धा का भाव होता रहा है। मकर संक्रान्ति से मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी तक के पांच प्रमुख स्नान के दौरान भीड़ बढ़ने पर मेले में गुम होने वाले कुछ लोग महीनों, दशकों बाद घर लौटते थे, कुछ तो वापस ही नहीं आते थे।

पौराणिक कथाओं के अनुसार संगम की धरती पर एक माह तक देवी-देवता वास करते हैं, उन्हें नजदीक से महसूस करने की आस्था को ही सनातन संस्कृति का नाम मिला था। कालांतर में देश की सरकारों ने टेंट सिटी के जरिये कुम्भ नगरी बसाने, सुरक्षा व्यवस्था, बिजली, पानी आदि देना शुरू किया। कुम्भ की भीड़ का बखान कवि कैलाश गौतम के काव्य में मिलता है। जब यहां वीआईपी कल्चर ने प्रवेश किया तब भगदड़ की आशंका भी बढ़ने लगी। मौनी अमावस्या के दौरान हुई भगदड़ ने की गई व्यवस्था का बांध तोड़कर उसे नाकाफ़ी बता दिया, लेकिन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ और रोज हो रहे हादसों के बावजूद देशभर से संगम की ओर उमड़ रही भीड़ यह दर्शाती है कि व्यवस्था पर आस्था भारी पड़ रही है।

भीड़ का आलम यह है कि प्रायागराज के शहरी आबादी की दिनचर्या भंग हुई पड़ी है।शहर के सिविल लाइन इलाके में भी ढलती रात के दो बजे से चार बजे के बीच ही वाहन चल पा रहे हैं। बाकी समय लोगों को आफिस, स्कूल कॉलेज जाना भी कठिन हो चला है। इतना ही नहीं, देश के अधिकतर राज्यों से आने वालों के लिए सड़क, रेलमार्ग और वायु मार्ग से भी साधन नहीं मिल रहे हैं।महाकुंभ में उमड़ रहे जन सैलाब को पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद सनातन संस्कृति का जागरण और आस्था का ज्वार मान रहे हैं।

उन्होंने ‘तहलका न्यूज नेटवर्क’ से खास बातचीत में कहा कि बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान शुरू हुए नरसंहार के विरोध में उतरे अल्प संख्यकों ने सनातन संस्कृति को जागृति किया। यही मौका था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया- बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे।’ इस मन्त्र ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के सनातनी को जागृत कर दिया।

महाकुंभ के संगम पर उमड़ी भीड़ में शामिल लोगों में आस्था का ज्वार सर चढ़कर बोल रहा है।इस बार संगम से अयोध्या और काशी के बीच त्रिकोण बन गया है। तीर्थ किसी जाति धर्म में भेद नहीं करता, वह तो सनातन में बाहें फैलाकर सबको स्वीकारता है। खुद योगी आदित्यनाथ ने यहां 45 करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाया था लेकिन अब तक यह संख्या 52 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है।

स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि व्यवस्था के नाकाफ़ी होने और हादसों को दरकिनार करते हुए आस्था के हिलोरे ले रहा जन सैलाब का यह अद्भुत नजारा सदियों बाद देखने को मिल रहा है। इसमें जाति, भेदभाव, धर्म के बंधन बेमायने होकर रह गए। महाकुंभ को लेकर राजनीति करने वाले भी मुँह की खाते नजर आ रहे हैं।

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