मौला अली की याद में अक़ीदतमंदो ने निकाला गया जुलूस-ए-गम
शाहगंज,जौनपुर।
एखलाक खान
तहलका 24×7
क्षेत्र के बड़ागांव स्थित मरहूम सैयद इम्तियाज हुसैन आब्दी के इमाम बारगाह से जुलूस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया।शनिवार को 21वीं रमज़ान को गमगीन माहौल देखने को मिला, जब मौला अली के ताबूत का पारंपरिक जुलूस निकाला गया। जुलूस में शामिल रोज़ेदारों और अकीदतमंदों ने शबीह-ए-मुबारक की ज़ियारत के लिए अपने हाथ बुलंद किए और नम आंखों से मौला अली की शहादत को याद करते हुए आंसुओं का पुरसा पेश किया।

जुलूस की शुरुआत मौलाना सैयद आज़मी अब्बास, इमामे जुमा जमात बड़ागांव की मख्सूस तकरीर दर्द भरे अंदाज में पेश किया।उन्होंने मौला अली की ज़िन्दगी, उनकी शहादत और इस्लाम के लिए किए गए उनके बलिदान पर रोशनी डाली। मजलिस के दौरान माहौल गमगीन हो गया और अजादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े। मौलाना के बयान के बाद मुक़ामी अंजुमनों के नौहाख़्वानों ने नौहा और मातम पेश किया, जिससे पूरा इलाका ग़म और अकीदत से भर उठा।

जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ मौला गाजी अब्बास के रौज़े तक पहुंचा, जहां समाप्ति की रस्म अदा की गई। जुलूस के आगे बढ़ते ही अजादार सिर झुकाए नंगे पांव मौला अली की याद में मातम करते हुए आगे बढ़ते गए।कई रोज़ेदारों ने अपनी आस्था और अकीदत के साथ जियारत की और मौला अली की शहादत को याद करते हुए मातम की सदाएं बुलंद की। पूरे रास्ते में या अली, या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं, जिससे माहौल गमगीन हो गया। बानि-ए-जुलूस सैयद अबूजर अफरीदी ने बताया यह जुलूस सिर्फ ग़म और मातम का नहीं, बल्कि सब्र, हौसले, इंसानियत की मिसाल का भी प्रतीक है।

इस गमगीन माहौल में अजादारों ने दुनिया में अमन और इंसाफ़ कायम रहने और हर किसी को मौला अली की सीरत से सीखने की दुआ की।जुलूस के दौरान समीम हैदर, मो.रज़ा, हसन मेहंदी, खुर्शीद हसन, सैयद परवेज़ मेहंदी, शहर अर्सी, ज़ाकिर हुसैन, रईश अहमद, मो.वारिस, मो. अजहर, बब्लू समेत सैकड़ों अक़ीदतमंदो ने खेराज़-ए-अकीदत पेश किया।