सुल्तानपुर : लोक परम्परा से आती है साहित्य में लय- पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह
# डॉ निरुपमा श्रीवास्तव के महाकाव्य अपराजिता गार्गी का हुआ लोकार्पण
सुल्तानपुर। मुन्नू बरनवाल तहलका 24×7 “लोक परम्पराओं से साहित्य में लय आती है। जब तक साहित्यकार लोक से नहीं जुड़ेगा तब तक साहित्य कालजयी नहीं होगा। जिस दिन हम लोक परम्परा से कट जायेंगे उस दिन हम मिट जायेंगे” उक्त बातें पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने कहीं।वे रविवार को सिरवारा रोड स्थित एक होटल में डॉ. निरूपमा श्रीवास्तव द्वारा रचित महाकाव्य अपराजिता गार्गी के लोकार्पण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि नैतिकता केवल शब्दों में ही नहीं व्यवहार में भी आनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि व्यंग्यकार सर्वेश अस्थाना ने कहा कि साहित्य समाज को रास्ता दिखाता है इसलिए साहित्यकार सर्वश्रेष्ठ होता है। गोंडा के शिवाकांत विद्रोही ने कहा कि साहित्यकार सजग और सतर्क रहता है। अध्यक्ष राम किशोर त्रिपाठी ने कहा कि लिखना महत्वपूर्ण नहीं है। क्या लिखा जा रहा है और कैसे लिखा जा रहा है यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। विषय प्रवर्तन करते हुए युग तेवर के सम्पादक कमल नयन पाण्डेय ने कहा कि सुल्तानपुर की साहित्य परम्परा काफी समृद्ध है। अपराजिता महाकाव्य भारतीय नारी की विभिन्न क्षमताओं को उद्घाटित करता है।
लोकार्पण सत्र का संचालन डॉ ओंकारनाथ द्विवेदी ने किया। द्वितीय सत्र में एक कविगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका संचालन अभिमन्यु तरंग और अध्यक्षता मोहम्मद इकबाल भारती ने किया। इस अवसर पर लोकभूषण आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’, आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह ‘जटायु’, राममूर्ति सिंह ‘सौरभ प्रतापगढ़ी’, नागेन्द्र अनुज, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’, दयाराम अटल, पवन कुमार सिंह, डॉ. मन्नान सुल्तानपुरी, आमिल सुल्तानपुरी, शिल्पी अग्रवाल आदि ने काव्यपाठ किया। समारोह में राज खन्ना, डॉ. डीएम मिश्र, डॉ. शोभनाथ शुक्ल, डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’, डॉ आशुतोष, डॉ. राम प्यारे प्रजापति, अवनीश त्रिपाठी समेत अनेक प्रमुख लोग उपस्थित रहे।