स्लाटर हाऊस रुपी नर्सिंग होम्स के ठीहे पर हलाल किए जाते हैं गरीब मरीज!
# जौनपुर से ही खड़ी हुई थी निषाद पार्टी, अपने विधायक का हाल जानने मेदांता पहुंचे पार्टी अध्यक्ष संजय, निषाद ने देखी मरीज की फाइल, लेकिन तीन अप्रैल को हादसे में घायल जफराबाद के युवा शुभम निषाद की जिस अस्पताल में मौत के बाद हंगामा हुआ वहां मरीजों की केस हिस्ट्री तीमारदार भी नहीं देख पाते, नेता ने अपने वोटर परिवार का हाल फोन से भी नहीं पूछा, जन चर्चा जोरों पर
कैलाश सिंह
जौनपुर/लखनऊ।
तहलका 24×7
जौनपुर के जिस नर्सिंग होम में जिले के ही युवक शुभम निषाद की मौत के बाद हंगामा हुआ और फिर डीएम के आदेश पर सीएमओ ने जांच कराई और मामले को रफादफा किया गया, वहां नर्सिंग होम के हर मानक और ट्रैफ़िक, अग्निशमन, मेडिकल वेस्टेज आदि नियमों की खुलेआम धज्जी उड़ाई जाती है। यहां तीमारदार सीढ़ी के मोड़ वाले रैम्प पर बकरियों सरीखे बैठते हैं, अथवा भूमिगत वाहन स्टैंड में बैठकर भयानक मच्छरों की गुनगुनाहट में रात गुजारते हैं।

नर्सें कैरम खेलती हैं, टू इन वन मैनेजर कम ड्राइवर तीमारदारों को ‘गोरु’ मानकर हांकता है।मरीज की केसहिस्ट्री संदूक में बंद रहती हैl किसी ने सवाल किया तो आधी रात के बाद बगैर केस हिस्ट्री के डिस्चार्ज कर दिया जाता है।दरअसल शाहगंज के जिस विधायक रमेश सिंह को देखने निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद मेदांता अस्पताल लखनऊ में गए और उनकी केस हिस्ट्री पर नजर डालते दिख रहे हैं, ( इसीलिए उनकी तस्वीर प्रतीक के तौर पर दी गई है) यदि वह शुभम निषाद को देखने आते तो उन्हें भी यहां केस की फाइल नहीं मिलती, क्योंकि जौनपुर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में केस हिस्ट्री इसलिए नहीं बनाई जाती कि कहीं किसी मरीज का जानकार परिजन देख लिया कि कैसी?

डाइग्नोसिस चल रही और बाज़ार मूल्य से सौगुना दाम वाली दवा निजी एमआरपी वाली दी जा रही है तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इस अस्पताल की बानगी यहां के कई अस्पतालों में मिल जाएगी। मरीज इनके दलालों के चंगुल में अपने घर से ही फंस जाता है। ये दलाल विविध रुपों में जिले के तहसील मुख्यालय ही नहीं, गांवों की कस्बाई बाजारों में भी फैले हैं, उनकी दुकानें भी सर्जन, फिजीशियन सरीखे सजी हैं। सभी पर स्वास्थ्य विभाग के एक खास अधिकारी की मेहरबानी है। नशीली, नकली, प्रतिबन्धित दवाओं का गिरोह ड्रग जांच करने वाला अधिकारी संचालित करता है, वह मेडिकल स्टोरों से बंधी रकम अपने ड्राइवर के जरिये वसूल करता है, इसकी तफ़्सील से जानकारी अगले एपिशोड में देंगे।

जौनपुर की ये बानगी उत्तर प्रदेश के कमोबेस सभी जिलों में मिल जाएगी।पूर्वांचल के अधिकतर जिलों में दवाओं की तस्करी का प्रमुख केंद्र वाराणसी है। जौनपुर के नईगंज व सिटी रेलवे स्टेशन और मुख्य जंक्शन इलाके के कई अस्पतालों के ऑपरेशन थियेटर में मरीजों के जाते ही महंगी दवाएं, इंजेक्शन उन्हीं के मेडिकल स्टोर पर उनके स्टाफ के जरिये वापस पहुंच जाता है, इस तरह वही दवा कई बार बिकती है। बग़ैर डिग्री या खरीदी गई डिग्री वाले डॉक्टर दवाओं की हेराफेरी में माहिर होते हैं। इनके दिलचस्प खेल अगली कड़ियों में मिलते रहेंगे।
क्रमशः…..