कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री से शोध किफायती : प्रो. राणा कृष्णपाल सिंह
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर डिजाइन विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के एक्सीलरेट विज्ञान स्कीम के अंतर्गत आयोजित की जा रही है।
उदघाटन सत्र की मुख्य अतिथि डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह ने कहा कि कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री में शोध की असीम संभावनाएं है। कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री से शोधात्मक प्रयोग करने में मदद मिलती है। कंप्यूटेशनल केमेस्ट्री के प्रयोग से शोध के परिणाम प्राप्त करने में आसानी होती है। यह बहुत किफायती भी होता है। प्रो. सिंह ने कहा कि कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री की मदद से उच्च कोटि की दवा के शोध में मदद मिलती है।
प्रो. सिंह ने प्रतिभागियों को कार्यशाला के पूर्ण मनोयोग से प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया।बतौर विशिष्ट अतिथि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना के डॉ. रंगनाथ सुब्रमण्यम ने कंपटीशन केमिस्ट्री के महत्ता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने गासियन के प्रयोग से कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के प्रोफेसर अनिमेष कुमार ओझा ने डीएफटी के प्रयोग से रसायन विज्ञान में शोध की महत्ता पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता कर रहे रज्जू भैया संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार यादव ने कहा कंप्यूटर आज के समय में शोध का आवश्यक हिस्सा है। बिना कंप्यूटर के शोध की कल्पना नहीं को जा सकती है।
कार्यशाला की रूपरेखा संयोजक डॉ. नितेश जायसवाल ने प्रस्तुत की। डॉ. जायसवाल ने कहा कि यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा एक्सीलरेट विज्ञान स्कीम के अंतर्गत आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के कई विश्वविद्यालय एवं संस्थाओं के 25 छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्यशाला का संचालन शोध छात्र प्रिया सिंह ने किया। अतिथियों का परिचय डॉ. मिथिलेश यादव ने कराया। धन्यवाद ज्ञापन रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार ने किया।
इस अवसर पर के डॉ. दिनेश कुमार वर्मा, डॉ. नीरज अवस्थी, डॉ. शशिकांत यादव, डॉ. श्याम कन्हैया सिंह, डॉ. आलोक वर्मा, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. सुजीत, डॉ. काजल डे, डॉ. धीरेंद्र चौधरी समेत पीएचडी शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहीं।