जौनपुर : सीओ समेत दो थानेदारों को न्यायाधिकारी ने लगाई फटकार
शाहगंज।
एख़लाक खान
तहलका 24×7
विवेचना, वारंट तामीला आदि मामलों में पुलिस की निष्क्रियता से ग्राम न्यायालय के न्यायाधिकारी दिनेश कुमार दिवाकर काफी खफ़ा दिखे। न्यायाधिकारी ने क्षेत्राधिकारी चौब सिंह, प्रभारी निरीक्षक शाहगंज सदानंद राय और खुटहन थानेदार राजेश कुमार यादव को विभिन्न मामलों में फटकार लगाते हुए न्यायालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
खुटहन थाने में दर्ज मुकदमा स्टेट बनाम मंगेश प्रजापति आदि मामले में मंगेश प्रजापति, बृजेश प्रजापति, दुर्गेश प्रजापति को जारी सम्मन में थाने से आई रिपोर्ट में इनके पिता का नाम गलत होने का दावा किया गया जिसमें प्रधान का पत्र लगाकर थानेदार द्वारा न्यायालय में आख्या प्रस्तुत कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री हासिल कर ली। न्यायाधिकारी दिनेश कुमार दिवाकर ने ने क्षेत्राधिकारी को नोटिस भेजकर बताया कि पुलिस की एफआईआर में तीनों अभियुक्तों की वल्दियत हरिलाल दर्ज है। जबकि विवेचना में राम निहोर है। न्यायाधिकारी ने क्षेत्राधिकारी से पूछा कि उक्त त्रुटि आपके कार्यालय से होकर गुजरती है जिस पर आपके द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है। कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि क्षेत्राधिकारी कार्यालय अभियुक्तों को बचाने में शामिल है। न्यायालय में 24 मार्च को उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।
इसी प्रकरण में खुटहन थानेदार राजेश कुमार यादव को फटकार लगाते हुए न्यायाधिकारी ने पूछा कि अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज एनसीआर में उनके पिता का नाम हरिलाल दर्ज किया गया जबकि विवेचना में राम निहोर दर्ज है। विवेचना के आधार पर अभियुक्तों को सम्मन जारी किया गया। दो स्थानों पर अलग अलग वल्दियत किस आधार पर दर्ज की गई। न्यायालय ने थानेदार को फटकार लगाते हुए 24 मार्च को उपस्थित होने और स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।
शाहगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक सदानंद राय से सुमनलता की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर न्यायाधिकारी ने आख्या मांगी थी। न्यायालय में प्रभारी निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत की गयी आख्या में कहा गया कि उक्त प्रकरण में अभी विवेचना जारी है। आख्या किसके द्वारा प्रस्तुत की गयी उसपर न तो प्रस्तुत करने वाले अधिकारी का नाम है और न ही पदनाम। न्यायाधिकारी ने प्रभारी निरीक्षक से पूछा कि बिना नाम, पदनाम और बिना अग्रसारण के रिपोर्ट प्रेषित करके अपने दायित्वों का अनुपालन नहीं किया। न्यायालय ने पूछा कि क्यों न आपके विरुद्ध पुलिस अधिनियम की धारा 29 को अमल में लाकर आपको दण्डित किया जाए। विभागीय कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा जाए। न्यायाधिकारी ने न्यायालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।