राम वनगमन व केवट संवाद सुन भाव विभोर हुए स्रोता
खुटहन, जौनपुर।
मुलायम सोनी
तहलका 24×7
यूनिक आईडिया एजूकेशन पब्लिक स्कूल मरहट के प्रांगण में आयोजित आठ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के 7वें दिन शनिवार को राम वनगमन, भरत मिलाप व राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनाया गया। कथा वाचक पंडित धर्मराज तिवारी महराज ने कहा कि भरत जैसा भाई इस कलयुग में मिलना मुश्किल है। राम केवट का प्रसंग सुन पंडाल में बैठे स्रोता भाव विभोर हो गए।
श्री महराज ने राम कथा में कहा भगवान राम मर्यादा स्थापित करने को मानव शरीर में अवतरित हुए। पिता की आज्ञा पर वह वन चले गए। भगवान राम वन जाने के लिए गंगा घाट पर खड़े होकर केवट से नाव लाने को कहते हैं, लेकिन केवट मना कर देता है। पहले पैर पखारने की बात कहता है। केवट भगवान का पैर धुले बगैर नाव में बैठाने को तैयार नहीं होता है। राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनकर श्रोता भक्ति विभोर हो गए।
उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के द्वारा स्थापित आदर्श समाज में आज भी कायम है। भगवान प्रेम भाव के भूखे हैं। वे अपने भक्तों के कल्याण हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। महाराज ने भैया भरत के चरित्र को गाकर बताया। कहा भरत ने भगवान राम के वनगमन के बाद खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजभोग की बजाय तपस्या की। कहा जीवन में भक्ति और उपासना का अलग महत्व है। निष्काम भाव से भक्ति करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कथा में भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही।
इस मौके पर सुभाष उपाध्याय, सुधाकर सिंह, दिनेश सिंह, सुमन, संतोष सिंह, रामाश्रय उपाध्याय, जिलाजीत यादव, सुरेंद्र, प्रदीप सिंह, किन्नू सिंह, लकी सिंह, नर्वदेश्वर दूबे, गीता उपाध्याय, रमापति मिश्रा, कमला सिंह, मनोज सिंह, अमरनाथ पाण्डेय आदि मौजूद रहे।