4 युवकों ने 20 साल काटी नक्सली होने की सजा, साबित हुए निर्दोष, एक को मिली रिहाई
चंदौली।
तहलका 24×7
20 साल नक्सली बनकर जेल की सजा काटने वाले 4 आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दे दिया।कोर्ट के आदेश पर सिर्फ एक दोषमुक्त ही रिहा हो सकेगा, फिलहाल 3 दोषमुक्त युवकों को जेल में रहना पड़ेगा। उनके खिलाफ अन्य मामलों की सुनवाई होगी। यह केस चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरा मामला कहीं न कहीं पुलिस की कार्यशैली और सरकारी सिस्टम पर भी सवाल खड़े करता है।चंदौली न्यायालय अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने डकैती, हत्या के प्रयास, लोक सेवक को सरकारी काम से रोकने एवं सार्वजनिक सम्पत्ति पर अवैध कब्जे के मामले की सुनवाई की।

इस दौरान उन्होंने नक्सली बताकर नौगढ़ थाने में दर्ज किए गए मुकदमे के चार दोषियों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राकेश रत्न तिवारी ने न्यायालय के समक्ष तर्क एवं साक्ष्य प्रस्तुत किया।जानकारी के मुताबिक 18 नवम्बर 2004 की देर शाम 40-50 की संख्या में असलहे से लैस नक्सलियों द्वारा रेजरी के बाउण्ड्री में प्रवेश कर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। इसका मुकदमा नौगढ़ थाने में दर्ज कराया गया था। आरोप था कि फायरिंग से रेंजर के कर्मचारी अंजनी कुमार मिश्रा, वनरक्षक राजेन्द्र प्रसाद, रामचरित्र सिंह, संतोष पाण्डेय, राजाराम, रोपवानी प्रहरी मुन्नी लाल आदि भयभीत होकर घरों में दुबक गए।

बदमाशों का मुकाबला कर्मचारी ने फायरिंग कर किया था।इस दौरान नक्सली फायर करते रहे। गार्ड को घायल कर चार राइफलें तथा बचे कारतूस लूट लिए थे।वन क्षेत्राधिकारी रामनरेश निगम का आवास घेरकर उन्हे भी घायल कर दिया गया था। उनकी रिवाल्वर लूट ली गई थी। गार्ड रूम को विस्फोट कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जब नक्सली हमला कर चले गए तो गार्ड रूम में केदार सिंह व नेहरू राम के शव मिले। वन क्षेत्राधिकारी व वन दरोगा तथा गार्ड कमांडर गंभीर रूप से घायल हो गये थे। पुलिस ने इस मामले में 19 लोगों को नामजद किया था।

अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायालय में ट्रायल के दौरान 2021 में 14 आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए सभी की रिहाई के आदेश दे दिए गए थे। पांच अन्य नामजद आरोपियों की अन्य मुकदमें में शामिल होने के कारण इन मामलों को एडीजे तृतीय पारितोष श्रेष्ठ की अदालत में ट्रांसफर किया गया था।ट्रायल के दौरान थाना नौगढ़ में दर्ज अभियोग में अभियुक्त मुन्ना विश्वकर्मा व राम सजीवन कुशवाहा को धारा 396, 307, 333, 412 आईपीसी व धारा-5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं धारा 3/4 पीपी एक्ट के आरोपों से दोषमुक्त करार दिया।

वहीं सत्र परीक्षण 113/2014 में न्यायालय ने अभियुक्त लालब्रत कोल उर्फ कमल जी उर्फ राजगुरु व हरिशंकर उर्फ बब्बल कोल उर्फ अजीत को दोषमुक्त करार दिया जबकि एक अन्य आरोपी की संजय कोल की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई। मामले में भले ही आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया हो, लेकिन सिर्फ रामसजीवन ही जेल से रिहा होंगे, तीन अन्य आरोपी फिलहाल जेल में ही रहेंगे। उनके खिलाफ अन्य मामलों की सुनवाई चल रही है। इस वजह से वो जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे।