सेना का रिटायर जवान बना माउंटेन मैन
# खुद के पैसे से बनवा रहा पुल, 15 गांव के लोगों ने की मदद
गाजीपुर।
तहलका 24×7
दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता, दशरथ मांझी ने हथौड़ी और छेनी से पहाड़ काटकर सड़क बना दी थी, लोग दशरथ मांझी को माउंटेन मैन के रूप में भी जानते हैं। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक गांव में रिटायर आर्मी के जवान ने किया है। अपने गांव के साथ आसपास के 15 गांव के बीच बहने वाली मगई नदी पर बिना किसी सरकारी बजट के पुल बनाने की ठानी है।पुल के पिलर का निर्माण भी पूरा हो चुका है। अब उसके स्लैब की ढलाई का काम हो रहा है।

इसके लिए रिटायर आर्मी जवान ने खुद के रिटायरमेंट के 10 लाख रुपए दिए और आसपास के गांव के लोगों से लगभग 60 से 70 लाख रुपए चंदा लेकर पुल का निर्माण करवा रहा है, जो लोग चंदा नहीं दे पा रहे हैं, वह खुद पुल के निर्माण में मजदूरी कर रहे हैं।गाजीपुर जिले के नोनहरा थाना क्षेत्र के पयामपुर छावनी गांव समेत लगभग 14-15 गांव के लोगों को आन-जाने के लिए मगई नदी पार करनी पड़ती है।यहां के लोगों के लिए सिर्फ एक साधन नदी को पार करना ही होता है।

जिसके लिए आजादी के बाद से लेकर अब तक वहां के लोग शासन प्रशासन जनप्रतिनिधि से गुहार लगाते रहे, लेकिन सब चुनावी बिगुल की तरह आते हैं, वादा भी करते हैं, लेकिन चुनाव होने के बाद वादा वादा ही रह जाता है। इसलिए इस गांव के लोग नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर आने-जाने का काम करते हैं। वहीं बाढ़ के दिनों में एक छोटी नाव के सहारे लोगों का आवागमन होता है।इस गांव की सड़क से गाजीपुर की दूरी 18 किलोमीटर है।अगर उस सड़क से लोग गाजीपुर आते हैं तो उसकी दूरी 42 किलोमीटर हो जाती है, जबकि थाना बगल में ही लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क से आने पर 30 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद थाने पर पहुंचा जाता है।

इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोगों को पुल की कितनी जरूरत होगी। पिछले दिनों गांव के ही रहने वाले रविंद्र यादव सेना के इंजीनियरिंग कोर में 55 इंजीनियर रेजीमेंट से रिटायर होने के बाद जब गांव पहुंचे और वहां की समस्याओं को देखा तब रविन्द्र ने पुल बनाने की ठानी। रविंद्र ने अपने रिटायरमेंट के 10 लाख रुपए पुल बनाने के लिए पहले देने का ऐलान किया। इसके बाद 25 फरवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने उस पुल का भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम किया। ऐसे में लोगों से चंदे और पुल के निर्माण वाली सामग्री देने का सिलसिला बढ़ता चला गया।

मौजूदा समय में नदी के अंदर दो पिलर गांव वालों की मदद से पड़ चुके हैं और नदी के दोनों सिरे पर अप्रोच मार्ग का निर्माण भी हो चुका है। मौजूदा समय में पुल के स्लैब की ढलाई का काम लोगों के चंदे से किया जा रहा है।आर्मी के रिटायर जवान रविंद्र यादव ने बताया कि उनका गांव गाजीपुर में है, लेकिन लोकसभा बलिया और विधानसभा मोहम्मदाबाद में पड़ती है। इतना ही नहीं उनके गांव के बगल में ही जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का भी गांव पड़ता है, जो गाजीपुर के सांसद और रेल राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

रविंद्र ने बताया कि इस पुल के लिए गांव के लोगों ने पिछले कई सालों से मांग की, लेकिन कोई भी ऐसा जनप्रतिनिधि नहीं रहा जिसके दरवाजे पर जाकर पुल निर्माण करने की मांग न रखी हो, लेकिन सभी चुनाव की तरह आश्वासन तो देते हैं, लेकिन आज तक पुल निर्माण के लिए किसी ने एक पत्र नहीं लिखा।रविंद्र यादव ने बताया कि वह सेना के इंजीनियरिंग कोर में रह चुके हैं और सिविल जेई डिप्लोमा होल्डर हैं। इसके अलावा वह एक अन्य आर्किटेक्ट की देखरेख में इस पुल की डिजाइन और उसके निर्माण कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।

रविंद्र ने बताया कि इस पुल की लंबाई 105 फीट है, जबकि नदी में दो पिलर और फिर अप्रोच के लिए रास्ते का भी काम लोगों के चंदे से किया जा रहा है।कहा कि जब इस मगई नदी में बाढ़ आ जाती है, तब इन लोगों ने जो लकड़ी का पुल बनाया है वह भी टूट जाता है और फिर एक नाव के सहारे ही करीब 14 से 15 गांव के आने-जाने का एकमात्र विकल्प रहता है। जिसके लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।