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Friday, April 26, 2024

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत खादी के प्रणेता और गुदड़ी के लाल की मनाई गयी जयंती

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत खादी के प्रणेता और गुदड़ी के लाल की मनाई गयी जयंती

जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
                 आजादी के अमृत महोत्सव की बेला पर देश की आजादी के योद्धा और अहिंसा के पुजारी खादी जीवन, खादी विचार के प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 152वीं जयंती एवं भारतीय राजनीति के चरित्र दृष्टा नैतिक मूल्यों के धनी देश को राष्ट्रीय दिशा दिखाने वाले निष्ठा, ईमानदारी के प्रतिमूर्ति और जय जवान जय किसान की आवाज से गुंजित होने वाले देश के महानायक अमरमणि भारत रत्न से विभूषित देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती पर बीआरपी इंटर कॉलेज में डॉक्टर सुभाष चंद्र सिंह की अध्यक्षता मे मनाई गई। गांधी जी के मूर्ति पर पुष्प वर्षा करते हुए श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए उनके आचरणों को आत्मसात करने का संकल्प भी लिया गया।

गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक और आध्यात्मिक नायक और देश के फकीर भी थे जिनकी पूजा विश्व पटल पर आज भी की जाती है। गांधी के विचार व गांधीवादी दर्शन राजनैतिक और आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राचीन भारतीय संस्कृति में सार्वभौमिक रूप से निहित है। आज अहिंसा जैसे सिद्धांतों का पालन करते हुए विश्व में शांति की स्थापना की जा सकती है जिसका आज पूरे विश्व को आवश्यकता है। आज ही के दिन सयुंक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी का संघर्ष शास्त्री जी का योगदान देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर एक ऐसा संदेश अहिंसा परमो धर्म तथा जय जवान जय किसान के उद्देश्य से देश को ब्रिटिश हुकूमत से निजात दिलाया।
ऐसे महानायक को अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग जूनियर तथा नेल्सन मंडेला और दलाई लामा जैसे महान व्यक्ति भी गांधी जी का अनुकरण करते हुए पूजते थे। गाधी जी का आंदोलन चाहे वह चंपारण मूवमेंट, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन व अन्य आंदोलन आपकी रोम रोम में समाया था। जिसका परिणाम है आज हम स्वच्छंद रूप से सांसे ले रहे हैं। शास्त्री जी का धर्म, निष्ठा, ईमानदारी एवं कर्तव्य परायणता विश्व पटल के जनमानस में समाहित थी। शास्त्री जी भारत पाक युद्ध के समय देश का राष्ट्रीय नारा ‘जय जवान जय किसान” दिया था जिसके परिणाम स्वरूप नौजवानों, किसानों, सैनिकों ने पूर्ण आत्म बल के साथ संघर्ष किया और सफलता भी प्राप्त किया जो इतिहास के पन्नों को स्वर्णिम रूप प्रदान करता है। आज के इस पावन पवित्र जन्मोत्सव के अवसर पर हमें ऐसे राष्ट्र नायकों से प्रेरणा लेनी होगी और जीवन में आत्मसात करना होगा।

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