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Saturday, April 27, 2024

उत्साह एवं उमंग के पर्व होली पर तहलका 24×7 विशेषांक

उत्साह एवं उमंग के पर्व होली पर तहलका 24×7 विशेषांक 

# प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की “तहलका 24×7” की अपील..

स्पेशल डेस्क।
राजकुमार अश्क
तहलका 24×7
                  सर्वप्रथम “तहलका 24×7” के सभी सुधी पाठकों को उत्साह एंव उमंग के त्योहार की हार्दिक बधाई… भारत देश को त्योहारों की धरती कहा जाता है यहां पर हर दिन कोई न कोई त्योहार अवश्य मनाया जाता है। इसी क्रम में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्यौहार मनाया जाता है जिसका धार्मिक आधार के साथ ही साथ वैज्ञानिक आधार भी है।
हमारे मनीषियों ने कितने तार्किक तौर पर हर वैज्ञानिक आधार को धार्मिक आधार से जोड़ कर उसे मानव जीवन के लिए उपयोगी बना दिया है। होली भी उन्ही में से एक है इसका भी वैज्ञानिक आधार है।होली की धार्मिक मान्यताओं को सभी लोग भलीभांति जानते हैं इसलिए हम इस पर चर्चा न करके इसके वैज्ञानिक आधार की चर्चा करते हैं।

# होली पर्व पर होलिका दहन

हम सभी को यह भलीभांति ज्ञात हैं कि धुलहड्डी से पूर्व रात्रि के समय होलिका दहन करने का प्रचलन है जिसमें अग्नि देव की पूजा की जाती है, अग्नि देव को पंचतत्व में प्रमुख स्थान प्राप्त हैं जो समस्त जीवधारियों के शरीर में विराजमान रहते हैं। नारद पुराण के अनुसार अग्नि प्रज्ज्वलन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को भद्रारहित प्रदोष काल में सबसे शुभ माना जाता है, होलिका दहन के समय पूरा परिवार एक साथ नया अन्न जिसमें गेहूँ, जौ, चना, आदि की हरी बलिया अग्नि देव को समर्पित करते हैं यह भी एक धार्मिक मान्यता के अनुसार ही है कि नयी फसल सबसे पहले अग्नि देव को समर्पित की जाती है। मान्यता यह है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है।

# होली का वैज्ञानिक महत्व

होली के त्योहार के बाद से शिशिर ऋतु की समाप्ति होती है और ग्रीष्म का आरंभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार जब दो ऋतुओं का मिलन होता है उस समय मानव शरीर में अनेकों प्रकार की बीमारियों का भी संक्रमण होता है और शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण सर्दी, जुकाम, खांसी सांस आदि की अनेकों बीमारियाँ फैलने लगती है, इस कारण स्वास्थ्य के नजरिए से होलिका दहन एक स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है क्योंकि इस पवित्र होलिका में जो सामग्री डाली जाती है उससे वातावरण में व्याप्त तमाम तरह की हानिकारक बैक्टीरिया का नाश हो जाता है उससे उठने वाली लपटों और धुंओं से आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है।

# रंगों का महत्व

रंग हमारे भावनाओं को भी दर्शाने का काम करते हैं ज्योतिष के आधार पर अगर देखा जाए तो लाल रंग साहस पराक्रम का द्योतक माना जाता है जो मंगल ग्रह का प्रतीक है, पीला रंग अहिंसा, प्रेम, ज्ञान आदि को दर्शाता है जिससे हमारे जीवन में खुशहाली आती है। यह सौंदर्य का प्रतीक भी है, इससे ग्रहों के गुरू कहें जानें वाले बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। अगर नारंगी रंग की बात की जाए तो यह रंग शक्ति, प्रेम, उर्जा आदि का प्रतीक है जो कि समस्त जड़ चेतन के स्वामी कहें जाने वाले भगवान भाष्कर का प्रतीक है।
सफेद रंग शांति, शालिनता, उत्तम विचार का प्रतीक है इससे जीवन में सादगी आती है। यह चंद्रमा तथा शुक्र का प्रतीक है ऐसा हमारे वेद ग्रंथों में वर्णित है।नीला रंग जो कि शनि देव का सूचक है इसके प्रयोग से शनि देव की कृपा दृष्टि हर मानव पर बनी रहती है। हरा रंग जो कि बुध ग्रह का सूचक माना जाता है इसके प्रयोग से खुशहाली, समृद्धि, दया, आदि आती है। यदि हम होली को सौहार्दपूर्ण तरीके से और प्राकृतिक रंगों से मनाए तभी इनका सही लाभ मिल सकता है।

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