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Saturday, April 20, 2024

जौनपुर : भाजपा ने मनाया काला दिवस, लोकतंत्र सेनानी को किया सम्मानित

जौनपुर : भाजपा ने मनाया काला दिवस, लोकतंत्र सेनानी को किया सम्मानित

जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
               भारतीय जनता पार्टी 25 जून शनिवार के दिन को भारतीय लोकतंत्र के काले दिवस के रूप में मना रही है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के नव निर्मित कार्यालय पर जिलाध्यक्ष की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश मंत्री शंकर गिरी उपस्थित रहे।
उन्होंने वहां उपस्थित कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूरे देश में आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। प्रेस को सेंसर कर दिया गया था, विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था। इस दिवस को पार्टी काला दिवस के रूप में मना रही है। उन्होंने आगे बताया कि आजादी के महज 28 साल बाद ही देश को तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले के कारण आपातकाल के दंश से गुजरना पड़ा। 25-26 जून की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया। अगली सुबह समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना कि भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है।

पूर्व प्रदेश महामंत्री एव विधान परिषद सदस्य विद्यासागर सोनकर ने कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई 25 जून की रैली की खबर पूरे देश में न फैल सके इसके लिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई। रात को ही इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आर के धवन के कमरे में बैठ कर संजय गांधी और ओम मेहता उन लोगों की लिस्ट बना रहे थे जिन्हें गिरफ्तार किया जाना था। पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि इन्दिरा गांधी ने 1971 के चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी राजनारायण को पराजित किया था। लेकिन चुनाव परिणाम आने के चार साल बाद राज नारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया। और श्रीमती गांधी के चिर प्रतिद्वंदी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया।

राजनारायण सिंह की दलील थी कि इन्दिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, तय सीमा से अधिक पैसा खर्च किया और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया था। इसके बावजूद श्रीमती गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। तब कांग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर कहा था कि इन्दिरा गांधी का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है। इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट से इंदिरा गांधी बौखला गईं। इन्दिरा गांधी ने अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी।

उस समय आकाशवाणी ने रात के अपने एक समाचार बुलेटिन में यह प्रसारित किया कि अनियंत्रित आंतरिक स्थितियों के कारण सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा था, जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी। इस दौरान जनता के सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। सरकार विरोधी भाषणों और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल के दौरान सत्ताधारी कांग्रेस आम आदमी की आवाज को कुचलने की निरंकुश कोशिश की। इसका आधार वो प्रावधान था जो धारा-352 के तहत सरकार को असीमित अधिकार देती थी।

जिलाध्यक्ष ने आये हुए अतिथियों से कहा कि मीसा और डीआईआर के तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। आपातकाल के खिलाफ आंदोलन के नायक जय प्रकाश नारायण की किडनी कैद के दौरान खराब हो गई थी। उस काले दौर में जेल-यातनाओं की दहला देने वाली कहानियां भरी पड़ी हैं। देश के जितने भी बड़े नेता थे, सभी के सभी सलाखों के पीछे डाल दिए गए। एक तरह से जेलें राजनीतिक पाठशाला बन गईं। बड़े नेताओं के साथ जेल में युवा नेताओं को बहुत कुछ सीखने-समझने का मौका मिला। संजय गांधी ने वीसी शुक्ला को नया सूचना प्रसारण मंत्री बनवाया जिन्होंने मीडिया पर सरकार की इजाजत के बिना कुछ भी लिखने-बोलने पर पाबंदी लगा दी। एक तरफ देशभर में सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर जुल्म हो रहा था तो दूसरी तरफ संजय गांधी ने देश को आगे बढ़ाने के नाम पर पांच सूत्रीय एजेंडे परिवार नियोजन, दहेज प्रथा का खात्मा, वयस्क शिक्षा, पेड़ लगाना, जाति प्रथा उन्मूलन पर काम करना शुरू कर दिया था।

सुंदरीकरण के नाम पर संजय गांधी ने एक ही दिन में दिल्ली के तुर्कमान गेट की झुग्गियों को साफ करवा डाला लेकिन पांच सूत्रीय कार्यक्रम में ज्यादा जोर परिवार नियोजन पर था। लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई। 19 महीने के दौरान देश भर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई। कहा तो ये भी जाता है कि पुलिस बल गांव के गांव घेर लेते थे और पुरुषों को पकड़कर उनकी नसबंदी करा दी जाती थी।

आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी जिस विरोध को शांत करना चाहती थीं, उसी ने 19 महीने में देश का बेड़ागर्क कर दिया। संजय गांधी और उनकी तिकड़ी से लेकर सुरक्षा बल और नौकरशाही सभी निरंकुश हो चुके थे। एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था कि आपातकाल लगने पर विरोध में कुत्ते भी नहीं भौंके थे, लेकिन 19 महीने में उन्हें गलती और लोगों के गुस्से का एहसास हो गया। 18 जनवरी 1977 को उन्होंने अचानक ही मार्च में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। 16 मार्च को हुए चुनाव में इंदिरा और संजय दोनों ही हार गए। 21 मार्च को आपातकाल खत्म हो गया लेकिन अपने पीछे लोकतंत्र का सबसे बड़ा सबक छोड़ गया।इस संगोष्ठी को लोकतंत्र सेनानी रत्ती राय, बाबूराम तिवारी, रमेश चन्द्र उपाध्याय, जे पी तिवारी, दयाराम शर्मा, रामचेत चौधरी, जय प्रकाश रावत हरिशंकर यादव ने सम्बोधित किये।

# इन लोकतंत्र सेनानी को सम्मानित किया गया

कार्यक्रम के अंत मे लोकतंत्र सेनानी दयाराम शर्मा, बाबूराम त्रिपाठी, राम चेत चौधरी, ननकू राम यादव, उदय भान सिंह, जय प्रकाश रावत, जयप्रकाश तिवारी, हरिशंकर यादव, फूलचंद मौर्य, रामअनुज यादव, राजाराम, बाबू शंकर राम, जगदंबा प्रसाद, रामधारी, हरिलाल यादव, रमेशचंद्र, रत्तीराय सेहीलाल, लल्लन यादव, राम जतन, रामउजागीर, बसंता, अच्छेलाल, इंद्रपाल सिंह, कृष्ण बिहारीलाल श्रीवास्तव, बदामा देवी, श्रीमती लालती, राममूरत तिवारी, देवी प्रसाद, राज बहादुर यादव, लक्ष्मी नारायण, लाल चंद्र मौर्य, बलराम चौरसिया, रमेशचंद्र मौर्य, सुभावती देवी, विद्यावती देवी, शारदा सिंह, भगवती प्रसाद यादव, राम प्रसाद यादव को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया

उक्त अवसर पर पीयूष गुप्ता, अमित श्रीवास्तव, जिला उपाध्यक्ष संतोष सिंह, जिला मंत्री रविंद्र सिंह राजू दादा, अभय राय, अवधेश यादव, प्रमोद यादव, ओमप्रकाश सिंह, धर्मपाल कन्नौजिया, गीता जायसवाल, प्रदीप जायसवाल, आमोद सिंह, सिद्धार्थ राय, रोहन सिंह, विनीत शुक्ला, अनिल गुप्ता, नरेंद्र उपाध्याय, रागिनी सिंह, कनक सिंह, सीमा तिवारी, अजय सरोज, मेंराज हैदर, इंद्रसेन सिंह, प्रमोद प्रजापति, वटेश्वर सिंह, मण्डल अध्यक्ष गण विनोद शर्मा, बलवीर गौड़, विनोद मौर्य, लवकुश सिंह, राजकेशर पाल, अजय मिश्रा, जितेंद्र मिश्रा, भूपेश सिंह, शैलेंद्र सिंह, अमित श्रीवास्तव, विकास शर्मा, धर्मेंद मिश्र, वंशबहादुर पाल, सिद्दार्थ सिंह, सत्यम मिश्र, ऋषिकेश श्रीवास्तव, अखिल मिश्रा सत्यम सिंह, शौरभ सिंह बनकट आदि उपस्थित रहे।

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