रिमोट सेंसिंग तकनीक देता है भूस्खलन की जानकारी : डा. प्रकाश सिंह
बोले विशेषज्ञ : ब्रह्मांड की घटनाओं का थर्मामीटर है जीपीएस, पहाड़ों को काटकर रास्ते बनाने से होता है भूस्खलन
जौनपुर।
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
तहलका 24×7
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित रज्जू भैया संस्थान के अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंसेज विभाग में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित कार्यशाला के प्रथम सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डा. प्रकाश कुमार सिंह ने भूस्खलन त्रासदी और उससे संबंधित विभिन्न घटनाओं के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत एवं पड़ोसी देशों के हिमालयी परिक्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं प्रायः होती रहती हैं। जिसका प्रमुख कारण पहाड़ों को काटकर बनने वाले रास्ते हैं।
उन्होंने जोशी मठ में जमीन दरकने एवं सिल्कयारा-बारकोट सुरंग के धंसने की घटनाओं एवं उसके कारणों के विषय में विस्तार से चर्चा की। कहा नार्वे देश में पहाड़ी इलाकों में ओपन रोड से ज्यादा सुरंग के माध्यम से आवागमन को वरीयता दी जाती है, जिससे वहां पर भूस्खलन आदि की घटनाएं भारत व पड़ोसी देशों की अपेक्षा बहुत ही कम है। आज के समय में रिमोट सेंसिंग तकनीकी की मदद से भूस्खलन एवं अन्य आपदाओं के परिपेक्ष्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवेलप करने में मदद मिल रही है। उन्होंने बताया कि हिमालय जैसे दुर्गम पहाड़ियों में जहां प्रत्यक्ष रूप से फील्ड करना संभव नहीं है वहां रिमोट सेंसिंग तकनीकी की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आये विशेषज्ञ डा. आरपी सिंह ने जीपीएस नेविगेशन सिस्टम एवं उसके विभिन्न वैज्ञानिक आयामों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि जीपीएस सिस्टम ब्रह्मांड में होने वाली विभिन्न घटनाओं एवं उनकी स्थितियों-परिस्थितियों को जानने का थर्मामीटर है। आज के समय में नेविगेशन प्रणाली को बेहतर बनाने में एडवांस जीपीएस सिस्टम एवं रिमोट सेंसिंग तकनीकी का बड़ा योगदान है। जिसका उपयोग भारत सहित विभिन्न देशों की सेनाओं एवं खुफिया एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
रज्जू भइया संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद यादव ने बाह्य विशेषज्ञों का अंगवस्त्रम तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। तकनीकी सत्रों का संचालन कार्यशाला के संयोजक डा. श्याम कन्हैया ने किया।इस अवसर पर अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंसेज के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज अवस्थी, डा. शशिकांत यादव, डा. सौरभ सिंह, डा. नितेश कोन्टे, डा. पुनीत धवन, डा. धीरेन्द्र चौधरी सहित विभाग के विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।