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Thursday, May 9, 2024

संस्कृति संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरी : प्रो. सीमा सिंह

संस्कृति संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरी : प्रो. सीमा सिंह

# वैश्विक स्तर पर हमारी संस्कृति की पहचान, हमारे रगों में बसी है संस्कृति

# पुविवि में संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर कार्यशाला शुरु 

जौनपुर। 
विश्व प्रकाश श्रीवास्तव 
तहलका 24×7 
             उत्तर प्रदेश के कल्चरल क्लब एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को किया गया। यह कार्यशाला संस्कृति विभाग उप्र. के सहयोग से की जा रही है।कार्यशाला संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर आधारित है।
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उ.प्र. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को संस्कृति के संरक्षण के लिए जागरूक करने की जरूरत है। इसके महत्व को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से हम कई पुरातन संस्कृति से परिचित हो रहे हैं और गौरव महसूस कर रहे हैं।
बतौर मुख्य वक्ता मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. राम मोहन पाठक ने कहा कि संस्कार संस्कृति पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विज्ञान और संस्कृति का समन्वय जरूरी है। इसे संवाद के माध्यम से समाज से जोड़ने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में सुगमता संस्कृति के माध्यम से ही लाया जा सकता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर लोग अपना रहे हैं। इसमें तन-मन को भी स्वस्थ रखने की व्यवस्था योग के माध्यम से है। उन्होंने कहा कि आज समय बहुत तेजी से बदल रहा है, इस बदलाव में हमारी भारतीय संस्कृति ही हमें सही मार्ग दिखा सकती है।
मूल सरयू नदी बचाओ आंदोलन के संयोजक पवन कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृति हमारे रग-रग में बसी है। लोक संस्कृति ने जातियों के बिखराव को रोककर उनको सम्मान दिया है। उन्होंने विवाह में कोहबर प्रथा पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि हमारे देश में नदियों को देवी ग्राम देवता के रूप में देवी, काली के साथ दैत्यों को भी पूजा जाता है। आज हमें संस्कृति से जड़ों को क्षरण से बचाने की जरूरत है।
नई दिल्ली की साहित्यकार डॉ. सोनी पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को उच्च स्थान दिया गया है। भारतीय संस्कृति के विविध आयामों पर विस्तार से चर्चा की। स्वागत भाषण कार्यशाला के समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र, संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया।
इस अवसर पर डॉ. नथमल टी. बडेवाला, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. विक्रम देव शर्मा, डॉ. सुधाकर शुक्ला, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. अवध बिहारी सिंह, सोनम विश्वकर्मा, डॉ. सुधीर उपाध्याय, डॉ. विवेक पांडेय, अमित मिश्र, सुरेंद्र कुमार यादव, संस्कार श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया।

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