कोचिंग सेंटर पर सरकार के बनाए पैनल ने गिराई गाज
# स्कूल से पढ़ा हुआ और कोचिंग लिया छात्र! दोनों की तुलना में कोचिंग वाला छात्र प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार है, वहीं स्कूल का छात्र बुनियादी तौर पर भी नहीं तैयार है। जो भार शिक्षा का सरकार को उठाना चाहिए वो कोचिंग वाले पूरा कर रहे हैं!
तहलका 24×7 विशेष
यूनियन एजुकेशन मिनिस्ट्री ने उच्च स्तरीय समिति बनाई है, जिससे प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग सेंटर पर निर्भरता कम रहे अर्थात स्कूल की पढाई इतनीं ठोस हो कि कोचिंग की जरुरत न हो। हायर एजुकेशन सचिव, विनीत जोशी द्वारा परिक्षण किया जाएगा की किस तरह कोचिंग पर आश्रित प्रतियोगिक परीक्षाओं तथा स्कूलिंग की अव्यवहारिक प्रणाली है।आज कल यह काफी रूप से प्रचलित है कि लोग आम रूप से कहीं किसी स्कूल में दाखिला करा कर कही किसी और जगह कोचिंग लेते हैं, जिससे आने वाली प्रतियोगिक परीक्षा के लिए तैयार हो सकें।

कुछ लोग कोचिंग को नकारात्मक दृस्टि से देखते हैं, किन्तु सच तो यह है की कोचिंग ने ही शिक्षा पद्धति को सम्हाल रखा है। स्कूल का स्तर इस प्रकार कमजोर हो चुका कि अध्यापक स्कूल में पढ़ाते समय बोलते हैं की पढ़ने के लिए उनसे ही कोचिंग लें। इसका मतलब ये है की अध्यापक स्कूल में पढ़ाना नहीं चाहते। समझने वाली बात ये है कि एक तरफ स्कूल से पढ़ा हुआ छात्र है और दूसरी तरफ कोचिंग लिया हुआ छात्र, दोनों की तुलना में कोचिंग वाला छात्र प्रतियोगिक परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है और वहीं स्कूल से पढ़ा हुआ छात्र जो बुनियादी तौर पर भी नहीं तैयार है।

जो भार शिक्षा का सरकार को उठाना चाहिए वो कोचिंग वाले पूरा कर रहे हैं।सचिव विनीत जोशी की मुख्य दृष्टि रहेगी कि कोचिंग सेंटर्स पर जो निर्भरता है उसे कैसे कम किया जाए, इस बात की जड़ पर जाना और अध्ययन करना की क्यों विद्यार्धी कोचिंग सेण्टर को प्राथमिकता देते हैं? दूसरी तरफ ध्यान रखना की स्कूल की शिक्षा शैली में सुधार हो। आलोचनात्मक, तर्क क्षमता, परिवर्तनात्मक, वैचारिक समझ को कैसे स्कूल में लाया जाए, जिससे स्कूल वाले छात्र आने वाले परीक्षाओं के लिए पहले से पूरी तरह तैयार रहैं। इस कमेटी को बनाने का ये भी उद्देश्य यह है की “डमी स्कूल” जैसी समस्या से कैसे निपटारा करें।

इसमें छात्र स्कूल की क्लास को अटेंड भी नहीं करता बल्कि उसकी जगह फुल टाइम कोचिंग करता है। इस तरह के प्रचलन को बंद करना है। प्रतियोगी परीक्षा जैसे की Neet, UPSC, CTET इत्यादि प्रतियोगिता का फिर से मंथन और उस निष्कर्ष का पालन करना सचिव विनीत का प्रमुख लक्ष्य है।भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां हैं। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के विभाजन से संबंधित है।

इसमें तीन सूचियां हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। संघ सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने का विशेष अधिकार संसद को है। राज्य सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल को है, वहीं समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने का अधिकार संसद और राज्य विधानमंडल दोनों को है, लेकिन यदि दोनों के कानून में टकराव होता है तो संसद द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा। यह अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का स्पष्ट विभाजन प्रदान करती है। शिक्षा समवर्ती सूची में है इसलिए यह कार्य संघ तथा राज्य दोनों को मिलकर करना चाहिए। इन सबके मद्देनजर कमेटी बनाई गई है जो शिक्षा को नई दिशा में ले जाएगी।
(लेखिका: अधिवक्ता कीर्ति आर्य आदित्य बिड़ला ग्रुप की इंटरनल आडिटर हैं।)